आंकड़ों के मुताबिक, इस साल दिल्ली में कार चोरी की घटनाओं में 52 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. पुलिस चोरों पर नजर रख रही है और लोगों से सतर्कता बरतने की अपील कर रही है.
Delhi Crime News: दिल्ली में इस साल कार चोरी की घटनाओं में 52 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई है जिसका जानकारी अधिकारियों ने शुक्रवार को दी. अधिकारियों ने बताया कि एत जनवरी से 24 जुलाई के बीच दर्ज मामलों की संख्या पिछले साल इसी अवधि के 1,662 से बढ़कर 2,529 हो गई है. जोनल इंटीग्रेटेड पुलिस नेटवर्क (ज़िपनेट) के आंकड़ों के अनुसार, कारों के अलावा, इसी अवधि के दौरान 105 जीप और 58 छोटे ट्रक, लॉरी या मल्टी पर्पस व्हीकरल भी चोरी हुए हैं. चोरी हुए वाहनों में दो एम्बुलेंस भी शामिल हैं – एक दक्षिणी दिल्ली के कोटला मुबारकपुर से और दूसरी जनकपुरी मेट्रो स्टेशन से चोरी हुई.
दो बसें भी चोरी हुईं
आंकड़ों से यह भी पता चला कि तिमारपुर और सीमापुरी इलाकों से दो बसें चोरी हुईं और शहर के विभिन्न हिस्सों से सात साइकिलें गायब होने की सूचना मिली. चोरी की ये घटनाएं रिहायशी इलाकों और सार्वजनिक स्थानों, जिनमें पेट्रोल पंपों, स्कूलों, बाजारों और पार्कों के आसपास के इलाके शामिल हैं, दोनों में हुईं. रोहिणी के सेक्टर 3, 7 और 24 के साथ-साथ उत्तर-पश्चिम दिल्ली के पश्चिम विहार और अशोक विहार से भी कई घटनाएं सामने आईं. आंकड़ों के अनुसार, दक्षिणी दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी और ग्रेटर कैलाश के साथ-साथ प्रीत विहार, मालवीय नगर और जनकपुरी में भी कई चोरियां हुईं. मौजूदा समय में शहर भर के पुलिस थानों और जब्त यार्डों में 40,270 से ज्यादा लावारिस या जब्त वाहन समाधान की प्रतीक्षा में हैं.
पुलिस ने दी अहम जानकारी
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि ज्यादा चोरी वाले इलाकों में निगरानी बढ़ाई जा रही है. अधिकारी ने कहा, “हम ज्यादा चोरी वाले इलाकों पर नजर रख रहे हैं और वसूली दर में सुधार लाने पर काम कर रहे हैं.” उन्होंने बताया कि चोर अक्सर वाहन मालिकों की पार्किंग की आदतों का अध्ययन करते हैं. अधिकारी ने कहा, “कुछ मामलों में, कारों को मेट्रो के खंभों या एटीएम के पास कई घंटों तक लावारिस छोड़ दिया जाता है. एक घटना में, एक बैंक कर्मचारी सुबह 9 बजे अपनी गाड़ी छोड़कर शाम लगभग 6 बजे लौटा, तो उसे गायब पाया. चोर ऐसे तरीकों का फायदा उठाते हैं. एसयूवी को आमतौर पर उनकी ज्यादा रीसेल वैल्यू के कारण निशाना बनाया जाता है.” राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा विकसित जिपनेट एक केंद्रीकृत डेटाबेस है जिसका उपयोग पुलिस विभागों द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चोरी हुए वाहनों, लापता व्यक्तियों और अज्ञात शवों का पता लगाने के लिए किया जाता है.
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