इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को राज्य में विवाह पंजीकरण में शामिल फर्जी आर्य समाज समितियों की जांच शुरू करने का निर्देश दिया है.
Prayagraj (UP): इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को राज्य में विवाह पंजीकरण में शामिल फर्जी आर्य समाज समितियों की जांच शुरू करने का निर्देश दिया है. इसके बाद न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई 29 अगस्त के लिए स्थगित कर दी. गृह सचिव के लिए जारी आदेश में दावा किया गया है कि ये समाज दुर्भावनापूर्ण इरादों से इन शादियों को संपन्न कराने में लगे हुए हैं. कोर्ट ने कहा कि कई बार तो दूल्हे और दुल्हन की उम्र की पुष्टि किए बिना भी ऐसा किया जाता है. न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार ने कहा कि जांच पुलिस उपायुक्त के पद से नीचे के अधिकारी द्वारा नहीं की जानी चाहिए. यह आदेश तब आया जब अदालत सोनू उर्फ शाहनूर द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें एक युवती से सोनू की शादी के संबंध में अपहरण और दुष्कर्म के आरोपों के तहत 12 सितंबर, 2024 के सम्मन को रद्द करने की मांग की गई थी.
शादी के समय नाबालिग थी पीड़िता
युवती ने 14 फरवरी, 2020 को शाहनूर से शादी की थी. इस दौरान वह नाबालिग थी. वह बालिग होने तक नारी निकेतन में रही, जिसके बाद वह शाहनूर के साथ रहने लगी. यह स्पष्ट है कि आवेदक और पीड़िता अलग-अलग धर्मों के हैं. आवेदन में कहा गया है कि उन्होंने प्रयागराज के आर्य समाज मंदिर में शादी की है. हालांकि, ऐसा अदालत ने 24 जुलाई को सुनवाई के दौरान शाहनूर की याचिका खारिज करते हुए कही. अदालत ने कहा कि मौजूदा कानून के अनुसार उचित धर्मांतरण किया जाना चाहिए. बचाव पक्ष के वकील ने तर्क दिया कि चूंकि लड़की अपनी शादी के समय नाबालिग थी, इसलिए शादी अमान्य थी. वकील ने कहा कि आवेदक और पीड़िता अलग-अलग धर्मों से आते हैं, ऐसे में उनकी शादी को तब तक वैध विवाह नहीं माना जा सकता जब तक कि उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 के प्रावधानों के अनुसार उचित रूपांतरण न किया जाए.
यूपी में विवाह पंजीकरण अनिवार्य
वकील ने यह भी कहा कि दंपति द्वारा आर्य समाज मंदिर द्वारा जारी किया गया विवाह प्रमाण पत्र फर्जी प्रतीत होता है. वकील ने एक पूर्व आदेश का हवाला देते हुए दावा किया कि उत्तर प्रदेश में यह समस्या व्याप्त है. दलीलों पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि उपरोक्त आदेश उत्तर प्रदेश राज्य में आर्य समाज मंदिर द्वारा एक वर्ष में संपन्न कराए गए विवाहों की संख्या के बारे में आश्चर्यजनक आंकड़े दर्शाता है. वैसे भी उत्तर प्रदेश में संपन्न सभी विवाहों के लिए उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियम, 2017 के प्रावधानों के तहत पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है. इसमें आगे कहा गया कि रिकॉर्ड से आगे पता चलता है कि कथित घटना के समय पीड़िता नाबालिग थी. और किसी भी तरह से उसके द्वारा किया गया कोई भी विवाह वैध विवाह नहीं होगा. इसके बाद न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई 29 अगस्त के लिए स्थगित कर दी.
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