राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा, “छत्तीसगढ़ में दो कैथोलिक ननों को उनकी आस्था के कारण निशाना बनाए जाने के बाद जेल भेज दिया गया – यह न्याय नहीं, बल्कि भाजपा-आरएसएस का भीड़तंत्र है.
Nuns arrested in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के दुर्ग में केरल की दो ननों की गिरफ्तारी पर माकपा सांसद जॉन ब्रिटास ने एक्स पर पोस्ट किया है. जॉन ब्रिटास ने इस गिरफ्तारी को कानून का घोर दुरुपयोग बताया है और तुरंत रिहाई की मांग की. एक्स पर पोस्ट में ब्रिटास ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को लिखा एक लेटर भी शेयर किया. इस पत्र में ब्रिटास ने गहरी चिंता व्यक्त की. ब्रिटास ने 25 जुलाई की सुबह दुर्ग रेलवे स्टेशन से राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) द्वारा केरल की दो कैथोलिक ननों – सिस्टर वंदना फ्रांसिस और सिस्टर प्रीति – की गिरफ्तारी और मानव तस्करी तथा जबरन धर्म परिवर्तन के आरोपों में उनकी न्यायिक हिरासत पर तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की.
एक्स पोस्ट में क्या लिखा?
जॉन ब्रिटास ने लिखा, “दुर्ग में केरल की ननों सिस्टर वंदना फ्रांसिस और सिस्टर प्रीति की निराधार तस्करी और धर्म परिवर्तन के आरोपों में गिरफ्तारी शर्मनाक है. यह अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के लिए कानून का घोर दुरुपयोग है. ननों को रिहा करें और समाज सेवा करने वालों के खिलाफ नफरत का अभियान बंद करें.” मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, केरल की इन ननों को दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं द्वारा उठाए गए मानव तस्करी और जबरन धर्मांतरण के आरोपों में छत्तीसगढ़ में गिरफ्तार किया गया था. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को 27 जुलाई को लिखे अपने पत्र में, ब्रिटास ने कहा कि प्राप्त जानकारी के अनुसार, दोनों नन अपने साथ आई तीन महिलाओं और एक पुरुष को लेने के लिए आगरा से दुर्ग आई थीं. ये लोग कॉन्वेंट में काम करने के इरादे से झारखंड से उचित सहमति से आए थे. हालांकि, पहुंचने पर, सभी छह ननों को जीआरपी कर्मियों ने कथित तौर पर मानव तस्करी और जबरन धर्मांतरण के झूठे आरोपों में हिरासत में ले लिया. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता ने आगे कहा कि कथित तौर पर, न तो किसी जबरदस्ती का कोई संकेत मिला और न ही धर्म परिवर्तन का कोई विश्वसनीय सबूत मिला.
भड़क गए राहुल गांधी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस घटना से जुड़ा पोस्ट एक्स पर शेयर किया. राहुल ने लिखा, “छत्तीसगढ़ में दो कैथोलिक ननों को उनकी आस्था के कारण निशाना बनाए जाने के बाद जेल भेज दिया गया – यह न्याय नहीं, बल्कि भाजपा-आरएसएस का भीड़तंत्र है. यह एक खतरनाक पैटर्न को दर्शाता है: इस शासन के तहत अल्पसंख्यकों का व्यवस्थित उत्पीड़न. यूडीएफ सांसदों ने आज संसद में विरोध प्रदर्शन किया. हम चुप नहीं रहेंगे. धार्मिक स्वतंत्रता एक संवैधानिक अधिकार है. हम उनकी तत्काल रिहाई और इस अन्याय के लिए जवाबदेही की मांग करते हैं.”
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