लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के दावों को नकारा. बता दें कि ट्रंप लगातार दावा कर रहे हैं कि उन्होंने ही भारत-पाकिस्तान के तनाव को रुकवाया था. इस मुद्दे पर विपक्ष भी लगातार केंद्र को घेर रहा है.
S Jaishankar on Operation Sindoor: लोकसभा में सोमवार को ऑपरेशन सिंदूर पर बहस हुई. इस दौरान विपक्षी नेताओं ने केंद्र सरकार को घेरा. वहीं केंद्र सरकार ने भी विपक्ष के वार पर पलटवार किया. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष के बाद सीजफायर पर सरकार का पक्ष रखा. जयशंकर ने जोर देकर कहा कि अमेरिका के साथ किसी भी बातचीत में ऑपरेशन सिंदूर से व्यापार का कोई संबंध नहीं था और सैन्य कार्रवाई रोकने का अनुरोध पाकिस्तान की ओर से डीजीएमओ के माध्यम से आया था. जयशंकर ने यह भी कहा कि पहलगाम हमले के बाद भारत की कूटनीति का नतीजा यह हुआ कि संयुक्त राष्ट्र के 190 देशों में से केवल तीन ने ऑपरेशन सिंदूर का विरोध किया. उन्होंने कहा कि इस बात का भारी समर्थन था कि जिस देश पर हमला हुआ है, उसे अपनी रक्षा करने का अधिकार है. जयशंकर ने कहा कि पहलगाम हमले के बाद एक स्पष्ट, मजबूत और दृढ़ संदेश देना जरूरी था क्योंकि “हमारी सीमाएं पार की गई थीं और हमें यह स्पष्ट करना था कि इसके गंभीर परिणाम होंगे.”
कितने देशों ने किया भारत का सपोर्ट?
जयशंकर ने कहा, “हमने ऑपरेशन सिंदूर शुरू करने के लिए एक कूटनीति तैयार करने की कोशिश की. उस कूटनीति का नतीजा यह हुआ कि संयुक्त राष्ट्र के 190 देशों में से पाकिस्तान के अलावा केवल तीन देशों ने ऑपरेशन सिंदूर का विरोध किया. आम तौर पर यह माना गया कि आतंकवाद अस्वीकार्य है और जिस देश पर हमला हुआ है, उसे अपनी रक्षा करने का अधिकार है और भारत ठीक यही कर रहा था. जब ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया गया था, तो हमने अपने उद्देश्य सामने रखे थे कि ये पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ढांचे पर हमला करेगा. हमारी कार्रवाई केंद्रित, सोची-समझी और बिना उकसावे वाली थी और हम इस प्रतिबद्धता पर खरे उतरे कि उन हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा. भारतीय कूटनीति के कारण ही अमेरिका ने द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) समूह को एक वैश्विक आतंकवादी संगठन घोषित किया था. हमें फोन कॉल आए जिनमें अन्य देशों की यह धारणा साझा की गई कि पाकिस्तान लड़ाई रोकने के लिए तैयार है. हमारा रुख यह था कि अगर पाकिस्तान तैयार है, तो हमें डीजीएमओ के जरिए पाकिस्तानी पक्ष से यह अनुरोध प्राप्त करना होगा. यह अनुरोध ठीक इसी तरह आया.”
डॉनल्ड ट्रंप के दावे पर क्या कहा?
जयशंकर ने कहा, “मैं दो बातें बिल्कुल स्पष्ट कर देना चाहता हूं- अमेरिका के साथ किसी भी बातचीत में किसी भी स्तर पर व्यापार और जो कुछ चल रहा था, उससे उनका कोई संबंध नहीं था. दूसरी बात, 22 अप्रैल से – जब राष्ट्रपति ट्रंप ने अपनी संवेदना व्यक्त करने के लिए फोन किया था – 17 जून तक, जब उन्होंने कनाडा में मौजूद प्रधानमंत्री को फोन किया, उनके और प्रधानमंत्री मोदी के बीच कोई बातचीत नहीं हुई.” पहलगाम हमले के बाद सरकार की कार्रवाई के बारे में बात करते हुए, जयशंकर ने कहा कि सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने फैसला किया था कि सिंधु जल संधि को तब तक स्थगित रखा जाएगा जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को अपना समर्थन देना बंद नहीं कर देता, साथ ही कई अन्य कदम भी उठाए जाएंगे. उन्होंने कहा, “ये बिल्कुल स्पष्ट था कि इन कदमों के बाद, पहलगाम हमले पर भारत की प्रतिक्रिया यहीं नहीं रुकेगी. विदेश नीति के दृष्टिकोण से हमारी जिम्मेदारी पहलगाम हमले की वैश्विक समझ को आकार देना था.”
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