Nag Panchami 2025: नाग पंचमी केवल एक पर्व नहीं, बल्कि ग्रहों, धातुओं और जीवनशैली के बीच गहरे संबंधों की चेतना भी है. इस पर्व से जुड़ी ये खास खबर को जरूर पढ़ें.
Nag Panchami 2025: नाग पंचमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो इस साल 29 जुलाई 2025, मंगलवार को मनाया जाएगा. इस दिन विशेष रूप से नाग देवता और भगवान शिव की पूजा की जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस शुभ अवसर पर लोहे और उससे बनी वस्तुओं का प्रयोग वर्जित माना गया है. आइए जानते हैं इसके पीछे की धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताएं.
नाग पंचमी कि क्या है परंपरा
सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व पूरे देश में श्रद्धा और भक्ति से मनाया जाता है. यह दिन व्रत, उपवास और नाग देवता की पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है. कई स्थानों पर लोग नाग चित्रों की पूजा कर दूध और चंदन अर्पित करते हैं. इस दिन सांपों को मारना, परेशान करना या अनादर करना वर्जित होता है.
लोहे का उपयोग क्यों नहीं करते नाग पंचमी पर?
धार्मिक मान्यता के अनुसार, नाग पंचमी पर लोहे से बनी वस्तुएं जैसे चाकू, कैंची, तवा, हथौड़ा, बर्तन आदि का उपयोग अशुभ माना गया है. यह परंपरा केवल आस्था नहीं, बल्कि ग्रहों के प्रभाव पर आधारित एक ज्योतिषीय तर्क भी है.
राहु और शनि से है लोहे का संबंध

कथाओं के अनुसार, लोहा राहु ग्रह से संबंधित धातु है. राहु को एक छाया ग्रह माना जाता है, जो अक्सर भ्रम, दुख और बाधाओं से जुड़ा होता है. नाग पंचमी, सांपों के देवता नागराज को समर्पित होती है, और राहु को सांप का प्रतीक माना जाता है. इसलिए इस दिन लोहे का उपयोग राहु के दुष्प्रभाव को और बढ़ा सकता है.
इसी तरह, शनि देव का भी लोहा से गहरा संबंध है. जब राहु और शनि का संयोग बनता है, तो जीवन में अनेक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. इसी कारणवश नाग पंचमी के दिन लोहा वर्जित किया गया है, ताकि घर और जीवन में पवित्रता और शांति बनी रहे.
तवे पर रोटी भी क्यों नहीं बनती?
नाग पंचमी पर कई घरों में तवे पर रोटी पकाना भी मना होता है. तवा भी लोहे का होता है और इसका संबंध राहु से जुड़ा है. मान्यता है कि इस दिन तवे का उपयोग करने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ सकता है. इसलिए लोग मिट्टी या तांबे के बर्तनों का उपयोग करते हैं.
नाग पंचमी केवल एक पर्व नहीं, बल्कि ग्रहों, धातुओं और जीवनशैली के बीच गहरे संबंधों की चेतना भी है. लोहे का उपयोग न करने की परंपरा सदियों से चली आ रही ज्योतिषीय और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. यह दिन हमें सिखाता है कि प्राकृतिक शक्तियों, ग्रहों और परंपराओं का संतुलन बनाए रखना जीवन में सकारात्मकता और शांति लाने का मार्ग है.
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