NISAR launch: दुनिया की सबसे बड़ी संयुक्त पृथ्वी निगरानी सैटेलाइट आज होगी लॉन्च, भारत-अमेरिका वैज्ञानिकों का दशकभर का साझा प्रयास. पढ़ें पूरी खबर.
NISAR launch: भारत और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष सहयोग की एक नई ऊंचाई पर पहुंचते हुए, NASA और ISRO द्वारा संयुक्त रूप से विकसित पृथ्वी अवलोकन सैटेलाइट NISAR आज श्रीहरिकोटा से लॉन्च होने जा रही है. इस अत्याधुनिक उपग्रह का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर भूमि, बर्फ और महासागर से जुड़ी गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखना है.
GSLV-F16 से होगी ऐतिहासिक उड़ान
NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) सैटेलाइट को आज शाम 5:40 बजे GSLV-F16 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा. 2,393 किलोग्राम वजनी यह सैटेलाइट Sun-Synchronous Polar Orbit में स्थापित की जाएगी. यह पहली बार है जब GSLV रॉकेट किसी मिशन को इस ऑर्बिट में ले जाएगा.
अंतरिक्ष सहयोग में मील का पत्थर
NISAR मिशन को ISRO और NASA के वैज्ञानिकों ने मिलकर 8 से 10 साल के प्रयासों के बाद तैयार किया है. NASA ने इसमें L-बैंड रडार, हाई-स्पीड डाउनलिंक सिस्टम और GPS रिसीवर जैसे उपकरण दिए हैं, जबकि ISRO ने S-बैंड रडार, सैटेलाइट बस और लॉन्च सिस्टम तैयार किया है.
क्या करेगा NISAR?
यह मिशन हर 12 दिन में धरती की सतह और बर्फ से ढके क्षेत्रों की इमेजिंग करेगा. इसमें हिमालय और अंटार्कटिका जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में ग्लेशियर मूवमेंट, भूकंपीय बदलाव, वन संरचना, पर्वतीय गतिविधियों और महासागरों की सतह का अध्ययन शामिल है.
कमिशनिंग के बाद होगा वैज्ञानिक कार्य
लॉन्च के बाद के शुरुआती 90 दिनों को ‘In-Orbit Checkout’ के लिए रखा गया है, जिसमें उपग्रह को वैज्ञानिक संचालन के लिए तैयार किया जाएगा. इसके बाद मिशन के 5 वर्षों तक वैज्ञानिक डेटा संग्रह और विश्लेषण होगा.
वैज्ञानिक तकनीक में सबसे आगे
NISAR सैटेलाइट में डुअल-बैंड Synthetic Aperture Radar (SAR) है, जिसमें NASA का L-बैंड और ISRO का S-बैंड शामिल है. यह तकनीक SweepSAR पद्धति का उपयोग करती है, जो उच्च रेजोल्यूशन के साथ-साथ व्यापक क्षेत्र की इमेजिंग को संभव बनाती है.
ISRO और NASA के बीच नई दिशा
यह मिशन भारत और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष सहयोग का सबसे बड़ा उदाहरण है. ISRO जहां उपग्रह नियंत्रण की जिम्मेदारी संभालेगा, वहीं NASA ऑर्बिट और रडार संचालन की योजना बनाएगा. दोनों एजेंसियों की ग्राउंड स्टेशन नेटवर्क इस डाटा को दुनिया भर के वैज्ञानिकों तक पहुंचाएंगे.
NISAR न केवल भारत और अमेरिका के तकनीकी सामर्थ्य का प्रमाण है, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और वैश्विक पर्यावरण पर अनुसंधान को एक नई दिशा देगा. यह मिशन आने वाले वर्षों में धरती की रक्षा और समझ के लिए एक अमूल्य संसाधन साबित हो सकता है.
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