चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए राज्यसभा महासचिव को रिटर्निंग ऑफिसर और राज्यसभा सचिवालय के दो अधिकारियों को सहायक रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त किया है.
New Delhi: उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 9 सितंबर को होंगे. चुनाव की अधिसूचना 7 अगस्त को जारी की जाएगी और नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 अगस्त होगी. यह घोषणा चुनाव आयोग ने शुक्रवार को की. यदि आवश्यक हुआ तो मतदान 9 सितंबर को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक संसद भवन के प्रथम तल पर स्थित वसुधा के कमरा संख्या F-101 में होगा. परिणाम उसी दिन घोषित किए जाएंगे. 21 जुलाई को निवर्तमान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद उपराष्ट्रपति का पद रिक्त हो गया था. चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए राज्यसभा महासचिव को रिटर्निंग ऑफिसर और राज्यसभा सचिवालय के दो अधिकारियों को सहायक रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त किया है.
राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी मतदान के पात्र
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य शामिल होते हैं. राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान करने के पात्र हैं. उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में राज्यसभा के 233 निर्वाचित सदस्य, राज्यसभा के 12 मनोनीत सदस्य और लोकसभा के 543 सदस्य शामिल हैं. लोकसभा में एक और राज्यसभा में पांच सीटें खाली हैं. सत्तारूढ़ एनडीए को आगामी चुनाव में अच्छी बढ़त हासिल है. 543 सदस्यीय लोकसभा में एक सीट खाली है – पश्चिम बंगाल में बशीरहाट, जबकि 245 सदस्यीय राज्यसभा में पांच रिक्तियां हैं. राज्यसभा में पांच रिक्तियों में से चार जम्मू-कश्मीर से और एक पंजाब से है. पंजाब की यह सीट आप नेता संजीव अरोड़ा के पिछले महीने उपचुनाव में राज्य विधानसभा के लिए चुने जाने के बाद इस्तीफा देने के बाद खाली हुई थी. दोनों सदनों की प्रभावी सदस्य संख्या 782 है और सभी पात्र मतदाताओं द्वारा अपने मताधिकार का प्रयोग करने पर विजयी उम्मीदवार को 391 मतों की आवश्यकता होगी. मालूम हो कि लोकसभा में भाजपा के नेतृत्व वाले NDA को 542 सदस्यों में से 293 का समर्थन है.
एकल संक्रमणीय मत से होगा चुनाव
सत्तारूढ़ गठबंधन को राज्यसभा (प्रभावी सदस्य संख्या 240) में 129 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है, बशर्ते कि मनोनीत सदस्य एनडीए उम्मीदवार के समर्थन में मतदान करें. कोई व्यक्ति उपराष्ट्रपति पद के लिए योग्य नहीं है यदि वह भारत सरकार, राज्य सरकार या किसी अधीनस्थ स्थानीय प्राधिकरण के अधीन किसी लाभ के पद पर आसीन हो. संविधान के अनुच्छेद 66 (1) में प्रावधान है कि उपराष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से होगा और ऐसे चुनाव में मतदान गुप्त मतदान द्वारा होगा. इस प्रणाली में वोटर्स को उम्मीदवारों के नाम के आगे अपनी प्राथमिकताएं दर्ज करनी होती हैं. वह पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करता है, लेकिन कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद उत्तराधिकारी के पदभार ग्रहण करने तक अपने पद पर बना रह सकता है.
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