Opposition on SIR: ‘डिस्कशन, नॉट डिलीशन’ के नारे के साथ विपक्ष ने यह साफ कर दिया है कि वे इस मुद्दे पर पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. अब देखना होगा कि सरकार इस पर किस तरह की प्रतिक्रिया देती है, क्या बहस होगी, या विवाद और बढ़ेगा?
Opposition on SIR: बिहार में चुनाव आयोग द्वारा की जा रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) यानी विशेष सघन पुनरीक्षण की प्रक्रिया को लेकर विपक्ष ने केंद्र सरकार पर हमला तेज कर दिया है. बुधवार को संसद भवन परिसर में विपक्षी सांसदों ने “Discussion not Deletion” के बैनर तले विरोध प्रदर्शन किया और मांग की कि संसद के दोनों सदनों में इस मुद्दे पर तुरंत बहस होनी चाहिए.
बिहार में वोट लूट का SIR मॉडल?
प्रदर्शन में विपक्षी सांसदों ने हाथों में ‘Stop SIR’, ‘SIR – Silent Invisible Rigging’ जैसे पोस्टर लिए हुए थे. उनका आरोप था कि चुनाव आयोग और सरकार की मिलीभगत से बिहार में मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर बदलाव किए जा रहे हैं ताकि विधानसभा चुनाव से पहले कुछ वर्गों को जानबूझकर मतदान से वंचित किया जा सके.
SIR के विरोध में विपक्ष का शक्ति प्रदर्शन
प्रदर्शन में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रियंका गांधी वाड्रा, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, शिवसेना (उद्धव) के संजय राउत, TMC की महुआ मोइत्रा समेत कई सांसदों ने हिस्सा लिया. सभी सांसदों ने संसद के मकर द्वार के पास नारेबाज़ी की और SIR को वापस लेने की मांग की.
प्रियंका गांधी ने भी कसा तंज
प्रदर्शन के दौरान प्रियंका गांधी वाड्रा ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा,’ये सरकार इतनी कमज़ोर हो गई है कि न अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का सामना कर पा रही है, न ही संसद चला पा रही है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘हम तो सिर्फ एक चर्चा की मांग कर रहे हैं. ये पांच मिनट में हल हो सकता है। दोनों पक्ष अपनी बात रखें और मामला सुलझ जाए. लेकिन ये चर्चा से भी डरते हैं.’
लगातार ग्यारहवां दिन, सिर्फ एक दिन का विराम
विपक्ष पिछले ग्यारह दिनों से इस मुद्दे पर लगातार प्रदर्शन कर रहा है. केवल सोमवार को, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के निधन के कारण प्रदर्शन नहीं हुआ था. सिर्फ संसद परिसर ही नहीं, संसद के भीतर भी विपक्षी सांसद इस मुद्दे को उठाते रहे हैं. उनका दावा है कि SIR की प्रक्रिया असंवैधानिक है और इससे बिहार के लाखों मतदाताओं को मतदान के अधिकार से वंचित किया जा सकता है.
बिहार की मतदाता सूची में हो रहे इस विशेष पुनरीक्षण को लेकर विपक्ष की मांग है कि संसद में खुले तौर पर बहस की जाए, ताकि पारदर्शिता बनी रहे. ‘डिस्कशन, नॉट डिलीशन’ के नारे के साथ विपक्ष ने यह साफ कर दिया है कि वे इस मुद्दे पर पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. अब देखना होगा कि सरकार इस पर किस तरह की प्रतिक्रिया देती है, क्या बहस होगी, या विवाद और बढ़ेगा?
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