Home Top News ब्रांडेड कंपनी की दवा समझकर कहीं नकली तो नहीं खरीद रहे? अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़

ब्रांडेड कंपनी की दवा समझकर कहीं नकली तो नहीं खरीद रहे? अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़

by Sanjay Kumar Srivastava
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खुदरा वितरण विश्वसनीय मेडिकल स्टोर या बिना लाइसेंस वाले ग्रामीण चिकित्सकों को सीधी आपूर्ति के माध्यम से होता था. सरगना राजेश मिश्रा कई राज्यों में काम करता था.

New Delhi: दिल्ली पुलिस ने नकली दवाएं बनाने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए सरगना समेत 6 को गिरफ्तार किया है. आरोपी नए आपूर्तिकर्ताओं और ग्राहकों से जुड़ने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते थे. पुलिस ने कहा कि आरोपियों की पहचान राजेश मिश्रा (52), परमानंद (50), दो भाइयों एमडी आलम (35) और एमडी सलीम (42), एमडी जुवैर (29) और प्रेम शंकर प्रजापति (25) के रूप में हुई है. आरोपी जॉनसन एंड जॉनसन, ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन (जीएसके) और अल्केम जैसी प्रतिष्ठित दवा कंपनियों के नकली जीवन रक्षक दवाओं के निर्माण, पैकेजिंग और वितरण में शामिल थे. पुलिस उपायुक्त (अपराध) हर्ष इंदौरा ने कहा कि सिंडिकेट ने नए आपूर्तिकर्ताओं और ग्राहकों के साथ संपर्क शुरू करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया. एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से संचार किया जाता था और पता लगाने से बचने के लिए हवाला और फर्जी खातों के जरिए भुगतान किया जाता था. भुगतान लेनदेन मोबाइल वॉलेट और बारकोड के माध्यम से किए जाते थे.

यूपी सहित कई राज्यों में फैला था कारोबार

बरामद मोबाइल फोन में ‘कोमल जी करनाल’, ‘अमित जैन स्किनशाइन दिल्ली,’पप्पी भैया जीकेपी’जैसे उपनामों के साथ सहेजे गए संपर्कों का पता चला. अधिकारी ने कहा कि खुदरा वितरण विश्वसनीय मेडिकल स्टोरफ्रंट या बिना लाइसेंस वाले ग्रामीण चिकित्सकों को सीधी आपूर्ति के माध्यम से होता था. सरगना राजेश मिश्रा कई राज्यों में काम करता था और नेहा शर्मा और पंकज शर्मा की मदद से प्रतिष्ठित दवा ब्रांडों से मिलते-जुलते खाली पैकेजिंग बॉक्स प्राप्त करता था. एक बार दवाइयां तैयार हो जाने के बाद उसे रेल के माध्यम से गोरखपुर भेजा जाता था. प्रेम शंकर जैसे संचालकों द्वारा आलम और सलीम जैसे जमीनी स्तर के डीलरों तक वितरित किया जाता था. कार्रवाई के दौरान हरियाणा के जींद और हिमाचल प्रदेश के बद्दी में स्थित दो गुप्त कारखानों का भंडाफोड़ किया गया, जिसमें उनके कब्जे से बड़ी मात्रा में नकली दवाएं जैसे अल्ट्रासेट, ऑगमेंटिन 625, पैन-40 और बेटनोवेट-एन स्किन क्रीम जब्त की गईं. यह रैकेट उत्तर प्रदेश, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्यों में फैला हुआ था.

मुरादाबाद के दो भाई भी पकड़े गए

दिल्ली में नकली दवाओं की खेप आने की गुप्त सूचना के बाद जांच शुरू हुई. डीसीपी ने बताया कि 30 जुलाई को सिविल लाइंस के एक पेट्रोल पंप पर एक कार को रोका गया. मुरादाबाद के दो संदिग्धों मोहम्मद आलम और मोहम्मद सलीम को नकली दवाइयां ले जाते हुए पकड़ा गया. गोरखपुर निवासी राजेश मिश्रा को पहले से ही दवा उद्योग का अनुभव था और वह बेनामी खातों और एन्क्रिप्टेड ऐप्स के माध्यम से उत्पादन और वितरण का समन्वय करता था. हरियाणा के जींद में लक्ष्मी मां फार्मा का मालिक परमानंद ही मुख्य निर्माण इकाई चलाता था. मुरादाबाद के दो भाइयों मोहम्मद आलम और मोहम्मद सलीम को नकली दवाएं ले जाते हुए गिरफ्तार किया गया.

दिल्ली में नकली दवाओं की खेप बरामद

मुरादाबाद के ही मोहम्मद ज़ुवैर ने भी एक आपूर्तिकर्ता के रूप में अहम भूमिका निभाई और डिजिटल और वित्तीय साक्ष्यों के ज़रिए उससे संपर्क किया गया. देवरिया (यूपी) के प्रेम शंकर प्रजापति ने एक ट्रांसपोर्टर के रूप में काम किया, जो विनिर्माण इकाइयों को स्थानीय वितरकों से जोड़ता था. पुलिस ने अल्ट्रासेट (जॉनसन एंड जॉनसन) की 9,015 गोलियां, ऑगमेंटिन 625 (जीएसके) की 6,100 गोलियां, पैन -40 (एल्केम) की 1,200 गोलियां, बेटनोवेट-एन क्रीम (जीएसके) की 1,166 ट्यूब, एमोक्सिसिलिन की 25,650 गोलियां, पीसीएम की 5,900 गोलियां, पैन डीएसआर की 2,700 गोलियां, स्टेरॉयड इंजेक्शन (कैनाकोर्ट) के 74 बक्से, प्रोयको एसपीएएस की 12,000 गोलियां और क्लैवम 625, जीरोडोल पी, पैंटॉप डीएसआर, काइमोट्री प्लस के अतिरिक्त स्टॉक भी बरामद किए. पुलिस नमे सिंडिकेट के अन्य सदस्यों और वित्तीय नेटवर्क का पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी है.

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