Opposition on Ex VP’s Presence: यह मामला अब राजनीतिक और संवैधानिक बहस का मुद्दा बन गया है. पूर्व उपराष्ट्रपति की स्थिति पर सरकार की ओर से आधिकारिक बयान का इंतजार जारी है, जबकि विपक्ष ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का सवाल बताया है.
Opposition on Ex VP’s Presence: पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद से राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज़ है. शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की अचानक गुमशुदगी को लेकर केंद्र सरकार पर सवालों की बौछार कर दी है. राउत ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक विस्तृत पत्र लिखकर न केवल धनखड़ की सुरक्षित मौजूदगी की पुष्टि मांगी है, बल्कि यह भी कहा है कि मामले में पारदर्शिता न होने पर विपक्ष कानूनी रास्ता अपनाने से पीछे नहीं हटेगा.
अचानक इस्तीफ़ा और बढ़ते सवाल
राउत के अनुसार, 21 जुलाई को मानसून सत्र के पहले दिन धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफ़ा दिया. तब से लेकर अब तक न तो वह सार्वजनिक तौर पर दिखे हैं और न ही मीडिया के सामने आए हैं. राज्यसभा के कई सदस्य और राजनीतिक सहयोगी उनसे संपर्क करने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन सभी प्रयास नाकाम रहे. इस चुप्पी ने न केवल सियासी हलकों में बल्कि आम जनता के बीच भी सवाल खड़े कर दिए हैं.
अफवाहों का बाज़ार गर्म
राउत ने अपने पत्र में दावा किया है कि दिल्ली में यह अफवाह तेज़ है कि धनखड़ को उनके आवास तक सीमित कर दिया गया है और उनकी सुरक्षा व स्वास्थ्य पर गंभीर सवाल हैं. उन्होंने कहा, “पूर्व उपराष्ट्रपति से न कोई मिल पा रहा है और न ही उनका स्टाफ किसी से बात कर रहा है, यह स्थिति बेहद असामान्य और चिंताजनक है.”
कानूनी लड़ाई की तैयारी
संजय राउत ने खुलासा किया कि उनके कुछ साथी सांसद इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में ‘हैबियस कॉर्पस’ याचिका दाख़िल करने पर विचार कर रहे हैं, ताकि अदालत से सीधे धनखड़ की मौजूदगी और हालात पर जवाब लिया जा सके. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि पहला कदम गृह मंत्री से आधिकारिक प्रतिक्रिया लेना होगा.
सियासी और संवैधानिक बहस में तब्दील मामला
उद्धव ठाकरे और संजय राउत के लगातार सवालों के बाद यह मामला अब केवल एक व्यक्ति की गुमशुदगी का नहीं, बल्कि संवैधानिक पदों की गरिमा और पारदर्शिता का मुद्दा बन चुका है. विपक्ष का कहना है कि सरकार को तुरंत स्पष्ट करना चाहिए कि देश के पूर्व उपराष्ट्रपति कहां हैं, उनकी सेहत कैसी है और क्या वे पूर्ण रूप से सुरक्षित हैं. वहीं, केंद्र सरकार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.
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