NCERT Modules: मॉड्यूल में कहा गया है कि भारत का विभाजन गलत विचारों के कारण हुआ. भारतीय मुसलमानों की पार्टी, मुस्लिम लीग ने 1940 में लाहौर में एक सम्मेलन आयोजित किया.
NCERT Modules: ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के उपलक्ष्य में एनसीईआरटी (NCERT) द्वारा जारी एक विशेष मॉड्यूल में भारत के विभाजन के लिए मुहम्मद अली जिन्ना, कांग्रेस और तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन को ज़िम्मेदार ठहराया गया है. मॉड्यूल में यह भी कहा गया है कि विभाजन के बाद कश्मीर एक नई समस्या के रूप में उभरा, जो भारत में पहले कभी नहीं थी और जिसने देश की विदेश नीति के लिए एक चुनौती पैदा की. मॉड्यूल में यह भी बताया गया है कि कुछ देश पाकिस्तान को सहायता देते रहते हैं और कश्मीर मुद्दे के नाम पर भारत पर दबाव बनाते रहते हैं. मॉड्यूल में कहा गया है कि भारत का विभाजन गलत विचारों के कारण हुआ. भारतीय मुसलमानों की पार्टी, मुस्लिम लीग ने 1940 में लाहौर में एक सम्मेलन आयोजित किया. इसके नेता मुहम्मद अली जिन्ना ने कहा कि हिंदू और मुसलमान दो अलग-अलग धार्मिक दर्शन, सामाजिक रीति-रिवाजों और साहित्य से जुड़े हैं.
विभाजन के लिए तीन तत्वों को बताया जिम्मेदार
‘विभाजन के अपराधी” शीर्षक वाले एक खंड में एनसीईआरटी मॉड्यूल ने कहा कि अंततः 15 अगस्त, 1947 को भारत का विभाजन हुआ. भारत के विभाजन के लिए तीन तत्व ज़िम्मेदार थे. पहला जिन्ना, जिन्होंने इसकी मांग की. दूसरा कांग्रेस, जिसने इसे स्वीकार किया और तीसरे माउंटबेटन थे, जिन्होंने इसे लागू किया. लेकिन माउंटबेटन एक बड़ी भूल के दोषी साबित हुए. उन्होंने सत्ता हस्तांतरण की तारीख जून 1948 से अगस्त 1947 कर दी. उन्होंने सभी को इसके लिए राजी कर लिया. इस वजह से विभाजन से पहले पूरी तैयारी नहीं की जा सकी. विभाजन की सीमाओं का सीमांकन भी जल्दबाजी में किया गया. इसके लिए सर सिरिल रैडक्लिफ को केवल पांच हफ़्ते का समय दिया गया. बताया गया कि 15 अगस्त 1947 के दो दिन बाद भी पंजाब के लाखों लोग इस बात से अंजान थे कि वे भारत में हैं या पाकिस्तान में. कहा कि ऐसी जल्दबाजी लापरवाही का एक बड़ा उदाहरण थी.
जिन्ना को नहीं थी पाकिस्तान की उम्मीद
मॉड्यूल में जिन्ना को दोषी ठहराते हुए उनके हवाले से यह भी कहा गया है कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा या वे अपने जीवनकाल में पाकिस्तान देखेंगे. बाद में जिन्ना ने भी स्वीकार किया कि उन्होंने विभाजन की उम्मीद नहीं की थी. उन्होंने अपने सहयोगी से कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा. मैंने अपने जीवनकाल में पाकिस्तान देखने की कभी उम्मीद नहीं की थी. भारत में स्थिति विस्फोटक हो गई थी. यह बात मॉड्यूल में सरदार वल्लभभाई पटेल के हवाले से कही गई है. भारत एक युद्धक्षेत्र बन गया था और गृहयुद्ध की बजाय देश का विभाजन करना बेहतर था. इसमें महात्मा गांधी के रुख का हवाला देते हुए कहा गया है कि उन्होंने विभाजन का विरोध किया था, लेकिन हिंसा के ज़रिए कांग्रेस के फ़ैसले का विरोध नहीं करेंगे. पाठ में लिखा है कि उन्होंने कहा कि वे विभाजन में शामिल नहीं हो सकते, लेकिन वे हिंसा के ज़रिए कांग्रेस को इसे स्वीकार करने से नहीं रोकेंगे.
नहीं भूल सकते विभाजन का दर्दः मोदी
एनसीईआरटी (NCERT) ने दो अलग-अलग मॉड्यूल प्रकाशित किए हैं – एक कक्षा 6 से 8 (मध्य स्तर) के लिए और दूसरा कक्षा 9 से 12 (माध्यमिक स्तर) के लिए. ये अंग्रेजी और हिंदी में पूरक संसाधन हैं, नियमित पाठ्यपुस्तकों का हिस्सा नहीं हैं. इनका उपयोग परियोजनाओं, पोस्टरों, चर्चाओं और बहसों के माध्यम से किया जाना है. दोनों मॉड्यूल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2021 के संदेश के साथ शुरू होते हैं जिसमें विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने की घोषणा की गई है. ‘एक्स’ पर प्रधानमंत्री के पोस्ट का हवाला देते हुए पुस्तक में उल्लेख किया गया है कि विभाजन के दर्द को कभी नहीं भुलाया जा सकता. हिंसा के कारण लाखों लोगों ने अपनी जान गंवाई. हमारे लाखों बहन-भाई विस्थापित हुए. हमारे लोगों के संघर्षों और बलिदानों की याद में 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाएगा. पटेल ने इसे “कड़वी दवा” कहा था, जबकि नेहरू ने इसे “बुरा” लेकिन “अपरिहार्य” बताया था. दूसरे चरण का मॉड्यूल विभाजन का कारण मुस्लिम नेताओं की “राजनीतिक इस्लाम” में निहित एक अलग पहचान में विश्वास को बताता है. इसमें कहा गया है कि इसी विचारधारा ने पाकिस्तान आंदोलन को गति दी.
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