Home खेल भारत को मिली ढलानों की रानी! देश की पहली महिला डाउनहिल माउंटेन बाइकिंग चैंपियन बनीं अनीसा लामारे

भारत को मिली ढलानों की रानी! देश की पहली महिला डाउनहिल माउंटेन बाइकिंग चैंपियन बनीं अनीसा लामारे

by Jiya Kaushik
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Anissa Lamare: अनीसा लामारे का सफर सिर्फ खेल तक सीमित नहीं है, बल्कि साहस और धैर्य की कहानी है. भारत की पहली महिला डाउनहिल माउंटेन बाइकिस्ट बनकर उन्होंने दिखा दिया कि अगर जुनून हो तो कठिन से कठिन रास्ते भी आसान हो जाते हैं.

Anissa Lamare: मेघालय की वादियों से निकलकर एक युवती ने भारतीय खेल जगत में नया इतिहास रच दिया है. 28 वर्षीय अनीसा लामारे, शिलांग की रहने वाली हैं और देश की पहली महिला डाउनहिल माउंटेन बाइकिस्ट का खिताब अपने नाम कर चुकी हैं. यह सफर आसान नहीं था, ना पेशेवर ढांचा, ना महिला प्रतिस्पर्धी और ना ही कोई मान्यता, फिर भी अनीसा ने हिम्मत, लगन और जुनून से इस कठिन और रोमांचक खेल में अपनी पहचान बनाई.

पुरुष-प्रधान खेल में गढ़ी अपनी पहचान

अनीसा ने दिसंबर 2015 में माउंटेन बाइकिंग की शुरुआत की. उस समय भारत में यह खेल महिलाओं के लिए लगभग न के बराबर था. न सही ट्रेल्स, न प्रशिक्षक और न ही महिला वर्ग की कोई प्रतियोगिता. ऐसे में अनीसा अकेली महिला प्रतिभागी बनकर पुरुष खिलाड़ियों के बीच उतरीं. कठिनाईयों के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी. वर्ष 2023 में केरल के पोनमुड़ी में हुए 28वें एशियन कॉन्टिनेंटल माउंटेन बाइक चैम्पियनशिप में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया और एलीट डाउनहिल श्रेणी में 9वां स्थान हासिल किया. इसके बाद नेपाल के पोखरा एंड्यूरो रेस में उन्होंने रजत पदक जीता और श्रीलंका व ओमान में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. अनीसा सिर्फ दौड़ नहीं रहीं थीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए रास्ता भी बना रही थीं.

शिलांग में खोला साइक्लिंग का केंद्र

ट्रैक से बाहर भी अनीसा ने अपनी दूसरी पहचान बनाई है. 2021 में उन्होंने ‘पेडल कम्पास’ नाम से शिलांग में एक एथलीट-फोकस्ड माउंटेन बाइक शॉप की शुरुआत की. यह दुकान सिर्फ साइकिल और गियर तक सीमित नहीं रही, बल्कि सर्विसिंग, ई-बाइक और ई-स्कूटर किराये पर देने जैसी सेवाएं भी प्रदान करने लगी. 2023 में अनीसा ने इस व्यवसाय की पूरी जिम्मेदारी अपने हाथों में ले ली और इसे स्थानीय साइक्लिंग प्रेमियों का केंद्र बना दिया. यह उनके लिए न सिर्फ आत्मनिर्भरता का साधन है, बल्कि खेल को बढ़ावा देने का जरिया भी है. अब उनका लक्ष्य है मेघालय में विशेष बाइकिंग ट्रेल्स विकसित करना और खासकर लड़कियों को इस खेल की ओर आकर्षित करना.

प्रेरणा बनीं और बदल दी धारणाएं

अनीसा की मेहनत और जज्बे को राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया है. उन्हें हायर इंडिया के ‘परफॉर्म बिग, साइलेंटली’ अभियान में शामिल किया गया, जिसमें अरुणिमा सिन्हा और डॉ. सीमा राव जैसी महिलाओं की उपलब्धियों को भी दर्शाया गया. इसके अलावा, उनकी कहानी ‘प्रोजेक्ट वाइल्ड वीमेन’ नामक डॉक्यूमेंट्री में भी दिखाई गई, जिसमें 15 ऐसी महिलाओं को दिखाया गया जो एडवेंचर स्पोर्ट्स में परंपरागत धारणाएं तोड़ रही थीं. सीमित आर्थिक मदद और संस्थागत सहयोग के बावजूद अनीसा ने खेल, व्यवसाय और सामाजिक संदेश का एक अनोखा संगम बनाया है. अब वह सिर्फ खिलाड़ी ही नहीं, बल्कि अगली पीढ़ी की मेंटर और इस खेल को उत्तर-पूर्व में नई पहचान देने वाली शख्सियत बन चुकी हैं.

अनीसा लामारे का सफर सिर्फ खेल तक सीमित नहीं है, बल्कि साहस और धैर्य की कहानी है. आज वह न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर रही हैं, बल्कि मेघालय को माउंटेन बाइकिंग का नया केंद्र बनाने और लड़कियों के लिए प्रेरणा बनने की दिशा में भी काम कर रही हैं.

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