Home Latest News & Updates अखिलेश यादव का आरोप: चुनाव आयोग भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए हटा रहा पिछड़ों के वोट

अखिलेश यादव का आरोप: चुनाव आयोग भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए हटा रहा पिछड़ों के वोट

by Sanjay Kumar Srivastava
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SP chief Akhilesh Yadav

SP chief Akhilesh Yadav: यादव ने आरोप लगाया कि 2019 में डाले गए वोट 2022 तक हटा दिए गए थे. मतदाता पहचान पत्र बनाने की एक उचित प्रक्रिया भी है, लेकिन उसकी अनदेखी की जा रही है.

SP chief Akhilesh Yadav: समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ( Akhilesh Yadav) ने सोमवार को चुनाव आयोग पर पिछड़े समुदायों के मतदाताओं के नाम हटाने का आरोप लगाया. उन्होंने सत्तारूढ़ भाजपा के पक्ष में काम करने का भी आरोप लगाया. संसद परिसर में पत्रकारों से बात करते हुए यादव ने आरोप लगाया कि मौर्य, पाल, भगेल और राठौर समुदायों सहित कई पिछड़े समूहों के मतदाताओं के नाम भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सच्चाई यह है कि उनके वोट हटाए जा रहे हैं. सपा ने पहले भी यह मुद्दा उठाया था, लेकिन यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह जानबूझकर पिछड़े वर्गों के वोट काटने के लिए किया जाता है, जबकि यह दर्शाया जाता है कि ये वोट कहीं और जा रहे हैं. यादव ने दावा किया कि उनकी पार्टी ने उन निर्वाचन क्षेत्रों की पहचान की है जहां वे कम अंतर से हारे थे और जहां मतदाताओं के नाम हटाने की भूमिका थी.

2019 में डाले गए वोट 2022 में हटे

उन्होंने आरोप लगाया कि अगर हमें मतदाता सूची उस प्रारूप में मिलती है जो हम चाहते हैं, तो हम ऐसे और मामले सामने ला सकते हैं. 2019 में डाले गए वोट 2022 तक हटा दिए गए थे. मतदाता पहचान पत्र बनाने की एक उचित प्रक्रिया भी है, लेकिन उसकी अनदेखी की जा रही है. पूर्व मुख्यमंत्री ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की. उन्होंने कहा कि हमारी मांग सीधी-सी है कि ज़िम्मेदार एक भी ज़िला अधिकारी को निलंबित किया जाए. अगर आप ऐसा करेंगे, तो देश में कहीं भी एक भी वोट नहीं कटेगा. हमें दिखाइए कि 2019, 2022 या 2024 में ऐसी चूक के लिए एक भी अधिकारी को हटाया गया हो. जब से भाजपा उत्तर प्रदेश में सत्ता में आई है, तब से एक भी अधिकारी को सज़ा नहीं मिली है, चाहे कितनी भी शिकायतें दर्ज की गई हों. ऐसा क्यों है? इसका मतलब है कि चुनाव आयोग भाजपा की ज़्यादा सुनता है.

जाति के आधार पर न हो BLO की नियुक्ति

उन्होंने एक मामले का भी हवाला दिया, जहां उनके अनुसार, एक भाजपा विधायक ने अपने बूथ पर 400 फ़र्ज़ी वोट बनाए थे, जिससे सपा को 200 से ज़्यादा फ़र्ज़ी वोट हटवाने पड़े. उन्होंने कहा कि इस तरह का सत्यापन राजनीतिक दल कर रहे हैं, लेकिन चुनाव आयोग ऐसा क्यों नहीं करता? चुनाव के दौरान अधिकारियों की नियुक्ति के तरीके की आलोचना करते हुए यादव ने कथित जाति-आधारित चयन पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि हमारी मांग बिल्कुल स्पष्ट है कि बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) की नियुक्ति जाति के आधार पर न करें, पीठासीन अधिकारियों की नियुक्ति जाति के आधार पर न करें. ऐसा लगता है कि सत्ताधारी पार्टी ही तय करती है कि कौन सा अधिकारी उनके लिए सबसे उपयुक्त है.

ये भी पढ़ेंः मतदाता सूची विवाद: विपक्ष आर-पार के मूड में, CEC के खिलाफ महाभियोग नोटिस पर विचार

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