Action against lawyer: विशेष लोक अभियोजक अरविंद मिश्रा ने कहा कि वकील गुप्ता ने पूजा रावत के साथ मिलीभगत करके अपने नाम पर कम से कम 18 मामले और रावत के माध्यम से 11 अन्य मामले दर्ज कराए थे.
Action against lawyer: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की एक विशेष अदालत ने फर्जी मामले दर्ज कराने पर एक वकील के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है. विरोधियों को फर्जी केस में फंसाने वाला वकील खुद ही फंस गया. वकील ने महिला को आगे कर अपने विरोधी को दर्जनों केस में फंसा दिया. अदालत में जब साजिश का पर्दाफाश हुआ तो कोर्ट ने दोषी पाते हुए वकील को आजीवन कारावास की सजा सुना दी.साथ ही 5.10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगा दिया. विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम) विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने मंगलवार को फैसला सुनाया, जिसमें वकील परमानंद गुप्ता को अपने प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बनाने के लिए दलित महिला पूजा रावत के माध्यम से झूठे मामले दर्ज करके साजिश और कानून के दुरुपयोग का दोषी ठहराया.
विरोधियों पर 29 फर्जी मामले
विशेष लोक अभियोजक अरविंद मिश्रा ने कहा कि गुप्ता ने रावत के साथ मिलीभगत करके अपने नाम पर कम से कम 18 मामले और रावत के माध्यम से 11 अन्य मामले दर्ज कराए थे. बताया जाता है कि कई फर्जी मुकदमे उसके विरोधी अरविंद यादव और उसके परिवार के खिलाफ दर्ज किए गए थे. ये मुकदमे संपत्ति विवाद के सिलसिले में दर्ज किए गए थे. उन्होंने कहा कि झूठे मामलों में दुष्कर्म और छेड़छाड़ के आरोप शामिल हैं. जांच से पता चला कि वकील गुप्ता ने यादव और उसके परिवार को झूठा फंसाने के लिए महिला पूजा रावत का इस्तेमाल किया था. हालांकि, पूछताछ के दौरान यह सामने आया कि कथित घटनाओं के समय रावत विवादित स्थल पर कभी मौजूद नहीं थीं, और जिस घर के बारे में उन्होंने दावा किया था कि वह किराए पर है. वकील की सहयोगी पूजा रावत ने 4 अगस्त, 2025 को खुद अदालत में एक आवेदन दिया. जिसमें पूजा ने आरोप लगाया कि उसे वकील गुप्ता और उसकी पत्नी संगीता ने फंसाया था. बताया कि संगीता की ब्यूटी पार्लर में वह एक सहायिका के रूप में काम करती थी.
अदालत में प्रवेश पर लगा प्रतिबंध
पूजा रावत ने स्वीकार किया कि उसे मजिस्ट्रेट के सामने यौन उत्पीड़न के झूठे बयान देने के लिए मजबूर किया गया था. पूजा रावत ने क्षमादान की गुहार लगाई. अदालत ने उसे सशर्त क्षमादान दे दिया. हालांकि, न्यायाधीश ने माना कि परमानंद गुप्ता, पूरी तरह से जानते हुए कि आरोपों में आजीवन कारावास की संभावना है, ने साजिश रची थी. इसलिए वह कठोर सजा का हकदार था. अदालत ने वकील परमानंद गुप्ता के अदालत परिसर में प्रवेश करने और प्रैक्टिस करने पर भी रोक लगा दी. अदालत ने फैसले की प्रति उत्तर प्रदेश बार काउंसिल को भेजी है ताकि न्यायपालिका की पवित्रता बनी रहे.
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