Demand for MSP law : हरियाणा और पंजाब के किसानों ने एक बार फिर MSP की मांग तेज कर दी है. इसी कड़ी में संयुक्त किसान मोर्चा ने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक ज्ञापन भी सौंपा है.
Demand for MSP law : किसान संगठनों ने एक बार फिर MSP को कानून बनाने की मांग की है. इसी संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) ने सोमवार को केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी और भारत-अमेरिका के बीच किसी भी प्रस्तावित व्यापार समझौते से कृषि एवं संबंद्ध क्षेत्रों को बाहर रखने की मांग की गई है. किसान संगठन ने बताया कि यह ज्ञापन जंतर-मंतर पर आयोजित किसान महापंचायत के दौरान दिल्ली पुलिस को सौंपा गया. भारी बारिश और कई जगहों पर पुलिस जांच के कारण यातायात बाधित होने के बाद भी देश भर से हजारों किसानों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया.
एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग
SKM के मुताबिक, कृषि मंत्रालय ने रविवार देर रात उस पत्र लिखकर कहा कि किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ उनकी लंबित मांगों पर चर्चा के लिए जल्द ही एक बैठक तय की जाएगी. ज्ञापन में तीन मुद्दों को दोहराया गया, जिसमें मुख्य रूप से एमएसपी गारंटी को कानून बनाना, कृषि, डेयरी, पोल्ट्री और मत्स्य पालन को किसी भी भारत-अमेरिका व्यापार समझौते के दायरे से बाहर रखना और 2020-21 के आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेना शामिल है. किसानों को बाजार के उतार-चढ़ाव के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है. एसकेएम नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि हम यह बिल्कुल स्पष्ट करना चाहते हैं कि एमएसपी की मांग सिर्फ पंजाब और हरियाणा तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश के किसान इसकी मांग करते हैं.
कई राज्यों के किसानों ने लिया भाग
किसान संगठन ने कहा कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु समेत कई राज्यों के किसान नेताओं ने महापंचायत में भाग लिया, जो शांतिपूर्ण तरीके से आयोजित किया गया. वहीं, पुलिस अधिकारियों ने बताया कि कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए धरना स्थल और उसके आसपास करीब 1200 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था. यह सभी दिल्ली की सीमाओं पर एक साल तक चले किसान आंदोलन के करीब चार बाद शुरू बाद हुई, जिसके कारण तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त किया गया था. इसके अलावा जिले में यूरिया की काफी कमी है और गन्ने की फसल में ज्यादा यूरिया की जरूरत पड़ती है. इसलिए यूरिया खाद की कमी को जल्द से पूरा किया जाना चाहिए.
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