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नेपाल में हिंसक प्रदर्शन के दौरान इन ऐतिहासिक इमारतों पर फूटा Gen-Z का गुस्सा

by Live Times
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Nepal Violence Destroys Historical Buildings

Nepal Violence Destroys Historical Buildings : नेपाल में हुए हिंसा के दौरान प्रदर्शकारियों ने कई ऐतिहासिक इमारतों को तहस-नहस कर डाला है. इनमें राष्ट्रपति भवन, पार्लियामेंट और सिंह दरबार समेत कई बिल्डिंग शामिल हैं.

Nepal Violence Destroys Historical Buildings : नेपाल में युवाओं यानी कि Gen-Z के प्रदर्शन ने देश में तख्तापलट करवा दिया है. इस आंदोलन के कारण नेपाल पूरा हिल गया. प्रदर्शकारी भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ सड़कों पर उतर आए और कई सरकारी और ऐतिहासिक इमारतों को तहस-नहस कर दिया. 8 सितंबर को शुरू हुआ यह विवाद दिन पर दिन हिंसक होता गया और इसने विक्राल रूप ले लिया. इस आंदोलन में कई लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हो गए. इस कड़ी में पीरिव प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा और सेना को तैनात किया गया. लेकिन इस प्रदर्शन ने संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, प्रधानमंत्री आवास और ऐतिहासिक सिंह दरबार पैलेस की तस्वीर को पूरी तरह से बदल दी है, जिससे देश की सांस्कृतिक धरोहर को क्षति पहुंची है.

सिंह दरबार, काठमांडू

प्रदर्शकारियों ने मुख्य तौर पर सिंह दरबार पैलेस को आग के हवाले कर दिया. इसे नेपाल की प्रशासनिक और ऐतिहासिक विरासत का एक प्रतीक माना जाता है. आंदोलनकारियों ने आग लगाकर इसे पूरी तरह से नष्ट कर दिया. इस इमारत में दरबार में संसद, प्रधानमंत्री कार्यालय समेत और कई मंत्रालय शामिल थे. वहीं, अगर इसके इतिहास की बात करें तो यह राणा शासन काल से जुड़ा हुआ है. इसका निर्माण साल 1908 में चंद्र शमशेर जंग बहादुर राणा की ओर से करवाया गया था. इसमें करीब 1700 से अधिक कमरे हैं. इसे राणा परिवार की शक्ति का प्रतीक माना जाता है. आज के दौर में सिंह दरबार सरकारी कार्यालयों, संसद और मंत्रालयों का केंद्र माना जाता है.

संसद भवन

यह प्रदर्शन इतना ज्यादा हिंसक हो गया था कि आंदोलनकारियों ने नेपाल के संसद भवन को भी जलाकर तहस-नहस कर दिया है. बता दें कि यह संघीय संसद भवन नेपाल की लोकतांत्रिक व्यवस्था का प्रतीक है. इसे साल 1959 में स्थापित किया गया था, जिसके बाद से संसदीय प्रणाली की शुरुआत की गई थी.

सुप्रीम कोर्ट

आंदोलनकारियों ने नेपाल और उसकी राजधानी काठमांडू में मौजूद सभी सरकारी और ऐतिहासिक इमारतों का हुलिया ही बदल दिया. इसमें नेपाल का सुप्रीम कोर्ट का भी नाम शामिल है. इसका निर्माण साल 1956 में किया गया था. यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता का प्रतिनिधित्व करती है. विरोध के दौरान प्रदर्शनकारियों ने इस परिसर को आग के हवाले कर दिया.

नेपाली कांग्रेस का मुख्यालय

विरोध के दौरान प्रदर्शनकारियों ने नेपाली कांग्रेस के मुख्यालय में भी जमकर उत्पात मचाया. इसका निर्माण साल 1940 के दशक से जुड़ा है, जब पार्टी की स्थापना हुई और यह स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रही. इन इमारतों के विनाश के कारण नेपाल के इतिहास को गहरा सदमा पहुंचा है और नुकसान भी हुआ है.

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राष्‍ट्रपति भवन, महाराजगंज , काठमांडू

राष्‍ट्रपति भवन नेपाल के राष्ट्रपति का आधिकारिक निवास है. इसे भी प्रदर्शकारियों ने नहीं छोड़ा है. इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति भवन में तोड़फोड़ की. इसके साथ ही कुछ जरूरी सामानों को उठाकर ले गए. गौरतलब है कि राष्ट्रपति भवन का निर्माण पूर्व प्रधानमंत्री चंद्र शमशेर राणा ने साल 1924 में करवाया था. बाद में इसका नाम शीतल निवास कर दिया गया था.

अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र

यहां पर बता दें कि आंदोलनकारियों ने इस इमारत में भी तोड़फोड़ की और आग के हवाले कर दिया. इसे नेपाल इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर के नाम से भी जाना जाता था. यह काठमांडू के न्यू बानेश्वर क्षेत्र में मौजूद है. इस केंद्र की स्थापना साल 1993 में चीन की मदद से की गई थी.

होटल और नेताओं के आवास

आंदोलनकारियों ने हिंसा के समय नेपाल के कई बड़े होटलों को भी अपने शिकंजे पर लिया. इसमें मुख्य हिल्टन होटल का नाम शामिल है. इसके अलावा भी उन्होंने कई बड़े राजनेता के घर को भी बर्बाद तक दिए. हयात रीजेंसी को भी तहस-नहस कर दिया गया है.

प्रधानमंत्री आवास

Gen-Z ने प्रदर्शन के दौरान नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को भी आग लगा दिया था. इसके साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा का भी घर फूंक दिया.

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