Home Top News ज्ञान, कर्म व भक्ति के बल पर भारत कर रहा विकास, भविष्यवाणियों को किया गलत साबितः भागवत

ज्ञान, कर्म व भक्ति के बल पर भारत कर रहा विकास, भविष्यवाणियों को किया गलत साबितः भागवत

by Sanjay Kumar Srivastava
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RSS chief Mohan Bhagwat:

RSS chief Mohan Bhagwat: भागवत ने कहा कि जब भारत 3,000 वर्षों तक विश्व नेता था, तब कोई वैश्विक संघर्ष नहीं था. दुनिया में संघर्षों के लिए व्यक्तिगत हित जिम्मेदार है.

RSS chief Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि भारत सभी की भविष्यवाणियों को गलत साबित करते हुए विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है. क्योंकि यह ज्ञान, कर्म और भक्ति के पारंपरिक दर्शन में विश्वास से प्रेरित है. भागवत की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भारतीय अर्थव्यवस्था ने चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में उम्मीद से बेहतर 7.80 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की है, जो अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाए जाने से पहले पिछली पांच तिमाहियों में सबसे अधिक है. इंदौर में मध्य प्रदेश के मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल की पुस्तक ‘परिक्रमा कृपा सार’ का विमोचन करने के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि जब भारत 3,000 वर्षों तक विश्व नेता था, तब कोई वैश्विक संघर्ष नहीं था. उन्होंने कहा कि दुनिया में संघर्षों के लिए व्यक्तिगत हित जिम्मेदार है, जिसने सभी समस्याओं को जन्म दिया.

भारत प्रकृति की पूजा करने वाला देश

भागवत ने कहा कि भारतीय लोगों के पूर्वजों ने विभिन्न संप्रदायों और परंपराओं के माध्यम से कई रास्ते दिखाए हैं, जो जीवन में ज्ञान, कर्म और भक्ति की संतुलित धारा को बनाए रखने की शिक्षा देते हैं. उन्होंने कहा कि ज्ञान, कर्म और भक्ति की संतुलित त्रिमूर्ति के पारंपरिक दर्शन में अपने विश्वास के कारण, भारत सभी की भविष्यवाणियों को गलत साबित करते हुए विकास के पथ पर निरंतर आगे बढ़ रहा है. भागवत ने पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल का जिक्र करते हुए कहा कि ब्रिटिश शासन समाप्त होने के बाद भी भारत एकजुट रहकर उन्हें गलत साबित कर दिया. उन्होंने कहा कि विंस्टन चर्चिल ने एक बार कहा था कि ब्रिटिश शासन से आजादी के बाद आप (भारत) जीवित नहीं रह पाएंगे और विभाजित हो जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि अब इंग्लैंड खुद विभाजन के चरण में आ रहा है, लेकिन हम विभाजित नहीं होंगे. हम आगे बढ़ेंगे. हम एक बार विभाजित हुए थे, लेकिन हम उसे फिर से एकजुट करेंगे. उन्होंने कहा कि जहां दुनिया आस्था और विश्वास पर चलती है, वहीं भारत कर्म और तर्क से युक्त आस्था की भूमि है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत गायों, नदियों और पेड़ों के प्रति श्रद्धा के माध्यम से प्रकृति की पूजा करता है.

पुस्तक विमोचन समारोह में शामिल हुए मुख्यमंत्री

भागवत ने कहा कि प्रकृति के साथ यह संबंध जीवंत और सचेत अनुभव पर आधारित है. उन्होंने कहा कि वर्तमान विश्व प्रकृति के साथ ऐसे ही संबंध के लिए तरस रहा है. पिछले 300-350 वर्षों से देशों को बताया गया है कि हर कोई अलग है और केवल मजबूत ही जीवित रहेगा. उन्हें बताया गया है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे शक्तिशाली बनने के लिए किसी का पेट रौंदते हैं या किसी का गला काटते हैं. पहले सिर्फ़ दर्जी ही गर्दन और जेबें (कपड़ों की) काटते थे. अब पूरी दुनिया ऐसा कर रही है. वे जानते हैं कि इससे परेशानी हो रही है, लेकिन वे इसे रोक नहीं सकते क्योंकि उनमें आस्था और भक्ति का अभाव है. आरएसएस प्रमुख ने आगे कहा कि भारत में जो आस्था है वह प्रत्यक्ष अनुभूति (ज्ञान) और प्रमाण पर आधारित है. भागवत ने आगे कहा कि हम सभी जीवन के नाटक में अभिनेता हैं और हमें अपनी भूमिकाएं निभानी हैं, और नाटक समाप्त होने पर हमारा असली स्वरूप सामने आता है. पुस्तक विमोचन समारोह में मुख्यमंत्री मोहन यादव सहित उनके मंत्रिमंडल के सदस्य और समाज के विभिन्न वर्गों के लोग शामिल हुए.

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