National Film Awards Ceremony: किसी फ़िल्म के लिए लोकप्रियता अच्छी बात हो सकती है, लेकिन जनहित ख़ासकर युवा पीढ़ी के हित की सेवा करना उससे भी बड़ा गुण है.
National Film Awards Ceremony: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में फिल्म निर्माताओं की सराहना की. कहा कि सिनेमा केवल एक उद्योग नहीं है, बल्कि समाज और राष्ट्र को जागृत करने का एक माध्यम भी है. राष्ट्रपति ने कहा कि सिनेमा नागरिकों को अधिक संवेदनशील बनाने में भूमिका निभाता है. इस बात पर ज़ोर देना कम ही होगा कि सिनेमा सिर्फ़ एक उद्योग नहीं है, यह समाज और राष्ट्र को जागृत करने व नागरिकों को ज़्यादा संवेदनशील बनाने का एक सशक्त माध्यम भी है. किसी फ़िल्म के लिए लोकप्रियता अच्छी बात हो सकती है, लेकिन जनहित, ख़ासकर युवा पीढ़ी के हित की सेवा करना उससे भी बड़ा गुण है. मुर्मू ने कहा कि भारतीय सिनेमा कई अलग-अलग भाषाओं, बोलियों, क्षेत्रों और स्थानीय परिवेशों में आगे बढ़ रहा है. उन्होंने आगे कहा कि महिलाओं पर केंद्रित अच्छा सिनेमा भी बन रहा है और उसे मान्यता मिल रही है. यह एक बहुत अच्छा सामाजिक संदेश है.
महिलाओं पर केंद्रित फिल्मों की सराहना
कहा कि आज पुरस्कृत फ़िल्मों में माताओं द्वारा बच्चों के नैतिक निर्माण पर आधारित फ़िल्में, उन साहसी महिलाओं की कहानियां हैं जो सामाजिक वर्जनाओं का सामना करने, पारिवारिक और सामाजिक ढांचों की जटिलताओं से निपटने और पितृसत्ता के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने के लिए एकजुट होती हैं. उन्होंने प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त करने वाली महिला फ़िल्म निर्माताओं की कम संख्या पर भी टिप्पणी की. कहा कि जिस तरह शैक्षणिक संस्थानों के पुरस्कार समारोहों में विजेता बेटियों की ज़्यादा संख्या एक विकसित भारत की छवि को दर्शाती है, उसी तरह फ़िल्म पुरस्कारों में भी यही प्रयास किया जाना चाहिए. मेरा मानना है कि अगर समान अधिकार दिए जाएं तो अवसर यह है कि महिलाएं असाधारण प्रदर्शन करने में सक्षम हैं. राष्ट्रपति ने आगे कहा कि कला और सिनेमा जैसे क्षेत्रों में भी महिलाओं की जन्मजात प्रतिभा के अनगिनत उदाहरण मौजूद हैं. सिनेमा से जुड़ी ऐसी उत्कृष्ट महिला प्रतिभाएं उचित सम्मान की हकदार हैं. जूरी के केंद्रीय और क्षेत्रीय पैनल में भी महिलाओं का पर्याप्त प्रतिनिधित्व होना चाहिए.
मलयालम सुपरस्टार मोहनलाल को बधाई
अपने भाषण में मुर्मू ने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेताओं और इस वर्ष दादा साहब फाल्के पुरस्कार विजेता मलयालम सुपरस्टार मोहनलाल को भी बधाई दी. उन्होंने मोहनलाल की प्रशंसा करते हुए उन्हें एक “संपूर्ण अभिनेता” बताया. उन्होंने कहा कि मोहनलाल ने कोमल से कोमल और कठिन से कठिन भावनाओं को सहजता से प्रस्तुत किया है. मुझे यह जानकर सुखद आश्चर्य हुआ कि उन्होंने महाभारत के कर्ण पर आधारित एक लंबे संस्कृत नाटक में कर्ण की भूमिका निभाई है. एक तरफ ‘वानप्रस्थम’ जैसी गंभीर फिल्म है और दूसरी तरफ इतनी सारी लोकप्रिय फिल्में हैं. मुझे बताया गया है कि मोहनलाल जी को पुरस्कार मिलने की खबर सुनकर लोग खुशी से भर गए. यह इस बात का प्रमाण है कि उन्होंने असंख्य दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बना ली है. राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें सभागार में पूरे देश की झलक दिखाई दे रही थी, जो विभिन्न श्रेणियों और भाषाओं के विजेताओं से भरा हुआ था.
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