Home राज्यJammu Kashmir पूर्ण राज्य की मांगः लद्दाख में भीषण हिंसा के बाद कर्फ्यू, हालात तनावपूर्ण, 50 लोग गिरफ्तार

पूर्ण राज्य की मांगः लद्दाख में भीषण हिंसा के बाद कर्फ्यू, हालात तनावपूर्ण, 50 लोग गिरफ्तार

by Sanjay Kumar Srivastava
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Ladakh Police

Ladakh violence: लेह में बुधवार को व्यापक झड़पों में चार लोगों की मौत हो गई और 80 से अधिक लोग घायल हो गए थे. सड़कों पर आगजनी और झड़पें हुईं.

Ladakh violence: जिला प्रशासन ने लेह में हिंसा भड़कने के बाद गुरुवार को कर्फ्यू लगा दिया. प्रशासन ने लोगों से घरों से बाहर न निकलने की अपील की है. पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने कर्फ्यू का सख्ती से पालन कराए जाने के दौरान कम से कम 50 लोगों को हिरासत में ले लिया. लेह में एक दिन पहले व्यापक झड़पों में चार लोगों की मौत हो गई थी और 80 से अधिक लोग घायल हो गए थे. लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर बुधवार को यहां जारी आंदोलन हिंसक हो गया था और इस दौरान सड़कों पर आगजनी और झड़पें हुईं. जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने 15 दिन से जारी अपनी भूख हड़ताल बुधवार को समाप्त कर दी थी. वह लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची के विस्तार की मांग को लेकर अनशन पर थे. इस दौरान आंदोलन हिंसक हो गया. लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) की युवा शाखा ने विरोध प्रदर्शन और बंद का आह्वान किया था.

सरकार के साथ अगली बातचीत छह अक्टूबर को

कई प्रमुख शहरों में भी पांच या अधिक व्यक्तियों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, जिनमें कारगिल भी शामिल है, जहां भूख हड़ताल का नेतृत्व कर रहे वांगचुक के समर्थन में कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) द्वारा बंद का आह्वान किया गया था. प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय और कई वाहनों को आग लगा दी थी. साथ ही ‘हिल काउंसिल’ मुख्यालय में तोड़फोड़ की थी, जिसके कारण शहर में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया था. एक पुलिस अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि कर्फ्यूग्रस्त इलाकों में स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है. पुलिस अधिकारी ने बताया कि हिंसा में शामिल लगभग 50 लोगों को हिरासत में लिया गया है. अधिकारी ने बताया कि घायलों में तीन नेपाल के नागरिक हैं. पुलिस हिंसा के पीछे विदेशी हाथ होने की भी जांच कर रही है. एलएबी और केडीए पिछले चार वर्षों से राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के विस्तार की अपनी मांगों को लेकर आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है. केंद्र सरकार के साथ उनकी कई दौर की बातचीत हो चुकी है. अगले दौर की बातचीत छह अक्टूबर को होनी है.

सड़क पर उतरे अर्धसैनिक बल

अधिकारियों ने बताया कि कारगिल, जांस्कर, नुब्रा, पदम, चांगतांग, द्रास और लामायुरु में दंगा रोधी उपकरणों से लैस पुलिस और अर्धसैनिक बलों की भारी तैनाती की गई है. कारगिल के जिला मजिस्ट्रेट राकेश कुमार ने पूरे जिले में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा जारी की, जिसके तहत सक्षम प्राधिकारी की पूर्व लिखित अनुमति के बिना पांच या अधिक व्यक्तियों के एकत्र होने, जुलूस निकालने या प्रदर्शन करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया. केंद्र ने बुधवार को आरोप लगाया था कि लद्दाख में कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के भड़काऊ बयानों की वजह से हिंसा भड़की. राजनीतिक रूप से प्रेरित कुछ लोग सरकार और लद्दाखी समूहों के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत में हुई प्रगति से खुश नहीं हैं. इस बीच गृह मंत्रालय ने कहा कि सरकार पर्याप्त संवैधानिक सुरक्षा उपाय प्रदान करके लद्दाख के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है. उप-राज्यपाल कविंद्र गुप्ता ने घटनाओं को हृदय विदारक बताते हुए कहा था कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में सभी को शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन जो कुछ हुआ वह स्वतः स्फूर्त नहीं था, बल्कि एक साजिश का नतीजा था.

वांगचुक ने की शांति की अपील

कविंद्र गुप्ता ने कहा कि अधिक जनहानि रोकने के लिए एहतियाती उपाय के तौर पर कर्फ्यू लगाया गया है. वांगचुक ने ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि प्रदर्शनकारियों में से दो 72 वर्षीय एक पुरुष और 62 वर्षीय एक महिला को मंगलवार को अस्पताल ले जाया गया था. कहा कि संभवतः यह हिंसक विरोध का तात्कालिक कारण था. स्थिति तेजी से बिगड़ने पर उन्होंने शांति की अपील की. उन्होंने घोषणा की कि वे अपना अनशन समाप्त कर रहे हैं. वांगचुक ने आंदोलन स्थल पर बड़ी संख्या में एकत्र अपने समर्थकों से कहा था कि मैं लद्दाख के युवाओं से हिंसा तुरंत रोकने का अनुरोध करता हूं क्योंकि इससे हमारे उद्देश्य को नुकसान पहुंचता है तथा स्थिति और बिगड़ती है. हम लद्दाख और देश में अस्थिरता नहीं चाहते. उन्होंने कहा था कि यह लद्दाख और मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से सबसे दुखद दिन है क्योंकि पिछले पांच वर्षों से हम जिस रास्ते पर चल रहे हैं वह शांतिपूर्ण था. हमने पांच मौकों पर भूख हड़ताल की और लेह से दिल्ली तक पैदल चले लेकिन आज हम हिंसा और आगजनी की घटनाओं के कारण शांति के अपने संदेश को विफल होते हुए देख रहे हैं.

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