Home Latest News & Updates बीमा कंपनी की बहानेबाजी फेल! ट्रक मालिक व कंपनी दोनों जिम्मेदार, फ्रैक्चर पर सरकारी कर्मी को मिले 15.11 लाख

बीमा कंपनी की बहानेबाजी फेल! ट्रक मालिक व कंपनी दोनों जिम्मेदार, फ्रैक्चर पर सरकारी कर्मी को मिले 15.11 लाख

by Sanjay Kumar Srivastava
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Motor Accident Claims Tribunal

Road Accident: सदस्य आरवी मोहिते की अध्यक्षता वाले MACT ने दोषी ट्रक के मालिक और बीमाकर्ता को संयुक्त रूप से और अलग-अलग मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी ठहराया.

Road Accident: मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (MACT) ने 2020 में एक सड़क दुर्घटना में घायल हुए एक दंपति को 16.79 लाख रुपये का सामूहिक मुआवजा देने का आदेश दिया है. सदस्य आरवी मोहिते की अध्यक्षता वाले MACT ने दोषी ट्रक के मालिक और बीमाकर्ता को संयुक्त रूप से और अलग-अलग मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी ठहराया. 20 सितंबर के आदेश की एक प्रति रविवार को उपलब्ध कराई गई. 29 जनवरी, 2020 को दंपति मोटरसाइकिल से कहीं जा रहे थे. इस दौरान महाराष्ट्र के ठाणे जिले के डोंबिवली इलाके में माल ढोने वाले एक ट्रक ने बाइक को टक्कर मार दी. ट्रक चालक को लापरवाह पाया गया क्योंकि वाहन तेज़ गति से चल रहा था और गलत दिशा से आकर मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी. बीमाकर्ता की पॉलिसी शर्तों (वैध लाइसेंस, परमिट और फिटनेस की कमी) के उल्लंघन की दलील को खारिज कर दिया गया.

छुट्टियों और वेतन पर दोहरा लाभ अस्वीकार

सरकारी कंपनी में काम करने वाले मोटरसाइकिल सवार को फ्रैक्चर हुआ. पीड़ित ने 55 प्रतिशत स्थायी आंशिक विकलांगता का दावा किया. हालांकि, न्यायाधिकरण ने कहा कि पीड़ित एक सरकारी कर्मचारी है. वह नौकरी में बना हुआ है. आकस्मिक चोटों के कारण उसकी सेवा शर्तों में किसी भी तरह से बदलाव नहीं किया गया है. उसके वेतन और अन्य परिलब्धियों में कोई कमी नहीं आई है. इसलिए, विकलांगता को कार्यात्मक विकलांगता नहीं माना जा सकता है और दावेदार की भविष्य की कमाई क्षमता में कोई कमी नहीं आई है. ट्रिब्यूनल ने कहा कि पीड़ित एक ओर तो उन छुट्टियों के बदले मुआवज़े के तौर पर राशि का दावा कर रहा है और दूसरी ओर छुट्टियों का आनंद भी ले रहा है. पीड़ित वेतन भी ले रहा है. पीड़ित दोनों लाभों का हकदार नहीं है. उसे 15.11 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया गया.

पत्नी का विकलांगता दावा खारिज

पीड़ित की पत्नी, जो एक निजी कंपनी में काम करती थी, ने भी स्थायी विकलांगता का हवाला दिया, लेकिन इस आधार पर उसका दावा भी खारिज कर दिया गया क्योंकि उसकी चोटों ने उसके रोज़गार को प्रभावित नहीं किया. उसे 1.68 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया गया. ट्रिब्यूनल ने कहा कि दुर्घटनाग्रस्त चोटों के कारण उसकी सेवा शर्तों में किसी भी तरह का बदलाव नहीं आया है. उसके वेतन और अन्य परिलब्धियों में कोई कमी नहीं आई है. इसलिए, विकलांगता को कार्यात्मक विकलांगता नहीं माना जा सकता और दावेदार की भविष्य की कमाई क्षमता में कोई कमी नहीं आई है. बीमा कंपनी को निर्देश दिया गया कि मुआवज़े की राशि 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज (दावा दायर करने की तारीख से) के साथ एक महीने के भीतर भुगतान की जाए. एमएसीटी ने यह भी निर्देश दिया कि व्यक्ति को दिए गए मुआवज़े का एक हिस्सा चार साल की सावधि जमा में निवेश किया जाए.

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