Home Top News कांशीराम की पुण्यतिथि पर लखनऊ में मायावती ने भरी हुंकार! कहा- BSP 2027 में अकेली लड़ेगी चुनाव

कांशीराम की पुण्यतिथि पर लखनऊ में मायावती ने भरी हुंकार! कहा- BSP 2027 में अकेली लड़ेगी चुनाव

by Sachin Kumar
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Mayawati News : कांशीराम की पुण्यतिथि के अवसर पर BSP ने एक भव्य रैली का आयोजन किया. इस दौरान BSP प्रमुख ने कहा कि गठबंधन से दूसरी पार्टियों का फायदा हुआ, हमारे उम्मीदवार को वोट ट्रांसफर नहीं हुआ.

Mayawati News : बहुजन समाज पार्टी (BSP) के संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि पर मायावती (Mayawati) के निर्देश पर लखनऊ में एक रैली का भव्य आयोजन किया गया. इस महारौली को सफल बनाने के लिए राज्य समेत देश भर के कार्यकर्ता लखनऊ के लिए रवाना हुए. इस दौरान बसपा प्रमुख ने गुरुवार को विशाल रैली को संबोधित किया और समाजवादी पार्टी पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2027 में BSP अकेली चुनाव लड़ेगी और साथ ही किसी पार्टी के साथ कोई गठबंधन नहीं किया जाएगा. मायावती ने स्पष्ट कहा कि अतीत में गठबंधनों से केवल सहयोगी पार्टियों को फायदा मिला है, जबकि BSP के वोट बैंक को पारस्परिक समर्थन नहीं मिला.

गठबंधन से हमें नहीं मिला फायदा : मायावती

मायावती ने लखनऊ में कहा कि अब तक के अपने अनुभव के आधार पर मैं यह स्पष्ट करना चाहती हूं कि जब भी हमारी पार्टी ने गठबंधन करके विधानसभा चुनाव लड़ा है, खासकर उत्तर प्रदेश में तो हमें इसका सीधा कोई फायदा नहीं मिला है. BSP प्रमुख ने आगे कहा कि हमारी पार्टी के वोट एकतरफा गठबंधन सहयोगी को स्थानांतरित हो जाते हैं, जबकि उनके जातिवादी रवैये के कारण उच्च जाति के वोट BSP उम्मीदवारों को नहीं मिलता है, ये राजनीतिक समीकरण के हिसाब से वास्तविकता है. मायावती ने बताया कि BSP की गठबंधन सरकारें कभी भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई है और गिर गई. उन्होंने कहा कि जब कभी हम गठबंधन के माध्यम से चुनाव लड़ते हैं तो हमारा वोट प्रतिशत गिर जाता है और जब हम गठबंधन के जरिए सरकार बनाते हैं तो समय पहले ही गिर जाती है.

ऐतिहासिक परिणाम को याद दिलाया

इसके अलावा मायावती ने ऐतिहासिक उदाहरणों का हवाला देते हुए उपस्थित लोगों को पिछले गठबंधनों और उनके परिणामों को भी याद दिलाने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि साल 1993 में जब BSP ने विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था तो उस दौरान 67 सीटों पर हमने जीत दर्ज की थी. इसके बाद जब हमने 1996 में कांग्रेस के साथ गठबंधन किया तो हमने केवल 67 सीटों पर ही जीत दर्ज की और इस दौरान को बड़ा बदलाव नहीं दिखा. इसके बाद साल 2002 में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला करने पर पार्टी की किस्मत चमक गई. उस दौरान हमारी पार्टी ने 100 सीटों पर दर्ज की थी, जिनमें दो निर्दलीय उम्मीदवार भी शामिल थे जिनको उस वक्त समय पर पार्टी चिह्न नहीं मिल पाया था. उस समय पार्टी का मनोबल आसमान पर था. इसके बाद 2007 में अकेले चुनाव लड़ा तो हमारी पार्टी ने ऐतिहासिक सफलता हासिल करते हुए सत्ता में अपने दम पर काबिज हो गई.

विकास में बाधा डालने का काम किया

मायावती ने कहा कि 2007 में सत्ता में आने के बाद पांच साल का कार्यकाल पूरा किया और समाज के सभी वर्गों के कल्याण के लिए कई ऐतिहासिक कार्य किए. उन्होंने कहा कि गठबंधन को न केवल BSP कमजोर किया, बल्कि समावेशी विकास में भी बाधा डालने का काम किया. उन्होंने कहा कि गठबंधन यह हमारे आंदोलन और हमारे मिशन को कमजोर करता है.

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