Chhattisgarh News : केंद्रीय गृह मंत्री ने मोदी सरकार के आह्वान पर हिंसा का त्याग कर मुख्यधारा में शामिल होने के लिए आत्मसमर्पणकरने वाले नक्सलियों की सराहना की. शाह ने आगे कहा कि वह उन लोगों से अपील करते हैं.
Chhattisgarh News : छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ जवानों ने अभियान जारी रखा है और इस दौरान बीते कई महीनों में कई माओवादियों ने आत्मसमर्पण भी किया है. इन में 13 वरिष्ठ कार्यकर्ताओं समेत 21 माओवादियों ने अपने हथियारों के साथ आत्मसमर्पण किया है. इसी बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने सोमवार को 31 मार्च, 2026 तक नक्सलवाद के अन्मूलन के सरकार के संकल्प को दोहराया है. बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में के कांकेर जिले में रविवार को 21 माओवादियों ने अधिकारियों को 18 हथियार सौंपने के बाद आत्मसमर्पण कर दिया. इसी बीच अमित शाह ने एक्स पोस्ट पर लिखा कि यह बताते खुशी हो रही है कि छत्तीसगढ़ में 21 माओवादियों ने हथियारों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया है और इनमें से करीब 13 वरिष्ठ कार्यकर्ता थे.
हथियार सौंपकर किया आत्मसमर्पण
केंद्रीय गृह मंत्री ने मोदी सरकार के आह्वान पर हिंसा का त्याग कर मुख्यधारा में शामिल होने के लिए आत्मसमर्पणकरने वाले नक्सलियों की सराहना की. शाह ने आगे कहा कि वह उन लोगों से अपील करते हैं जो अभी भी बंदूकें थामे हुए हैं कि वे जल्द से जल्द आत्मसमर्पण कर दें. साथ ही हम 31 मार्च, 2026 तक नक्सलवाद का सफाया करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं. बता दें कि इससे पहले 17 अक्टूबर को 9.18 करोड़ रुपये का इनामी नक्सली संगठन के केंद्रीय समिति के सदस्य रुपेश उर्फ सतीश समेत 210 नक्सलियों ने बस्तर जिले के जगदलपुर में 153 हथियार सौंपकर आत्मसमर्पण कर दिया था.
बीजापुर में किया था 103 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण
इसके अलावा 2 अक्टूबर को बस्तर क्षेत्र के बीजापुर जिले में 103 नक्सलियों ने आत्मसर्मपण किया, जिनमें से 49 पर कुल 1.06 करोड़ रुपये से अधिक का इनाम था. दूसरी तरफ राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा था कि अब तक नक्सल प्रभावित इलाकों में 64 नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए जा चुके हैं, जिससे न केवल सुरक्षा मजबूत हुई है. साथ ही गांव-गांव तक रोशनी पहुंची है. उन्होंने आगे कहा कि अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर इलाके नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त हो चुके हैं. दक्षिण बस्तर में यह लड़ाई अपने निर्णायक चरण में है. नियद नेल्ला नार जैसी योजनाओं ने बस्तर संवाद, विकास और संवेदना की नई धरती तैयार की है.
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