Sub-Inspector Recruitment Scam: ओडिशा में सब-इंस्पेक्टर भर्ती घोटाले के मास्टरमाइंड को उत्तराखंड में भारत-नेपाल सीमा से गिरफ्तार कर लिया गया.
Sub-Inspector Recruitment Scam: ओडिशा में सब-इंस्पेक्टर भर्ती घोटाले के मास्टरमाइंड को उत्तराखंड में भारत-नेपाल सीमा से गिरफ्तार कर लिया गया. 30 सितंबर को घोटाला सामने आने के बाद शंकर प्रुस्ती एक महीने से अधिक समय से फरार था. पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपी को शनिवार को उत्तराखंड पुलिस की मदद से पकड़ा गया और रविवार सुबह ट्रांजिट रिमांड पर भुवनेश्वर लाया गया. अपराध शाखा द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि CBCID की डीएसपी अनिला आनंद के नेतृत्व में एक टीम लगातार उसका पीछा कर रही थी. वह बार-बार अपना स्थान बदल रहा था. अंत में उसे टीम ने खोज लिया और उत्तराखंड में नेपाल सीमा के पास से गिरफ्तार कर लिया. प्रुस्ती पंचसॉफ्ट टेक्नोलॉजीज का मालिक है. आरोपी को पुलिस और अन्य वर्दीधारी सेवाओं में 933 सब-इंस्पेक्टर पदों को भरने के लिए लिखित परीक्षा आयोजित करने का ठेका दिया गया था. इसके साथ ही करोड़ों रुपये के इस घोटाले में 114 नौकरी चाहने वालों सहित कुल 124 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
धांधली का पता चलने पर भर्ती परीक्षा स्थगित
हालांकि, नौकरी चाहने वालों को दो दिन पहले ज़मानत पर रिहा कर दिया गया था. गिरफ्तारी के बाद प्रुस्ती को दिल्ली से भुवनेश्वर ले जाया गया. अधिकारियों ने बताया कि भुवनेश्वर हवाई अड्डे से उन्हें सीधे कटक स्थित अपराध शाखा मुख्यालय पूछताछ के लिए ले जाया गया. हवाई अड्डे पर आरोपी ने कहा कि वह किसी भी तरह से अनियमितताओं में शामिल नहीं था. उसने कहा कि इस घोटाले में मुना मोहंती या किसी भी आरोपी व्यक्ति से उसका कोई संबंध नहीं है. मैं न्याय के लिए पहले ही उड़ीसा उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय दोनों का दरवाजा खटखटा चुका हूं. अधिकारियों ने बताया कि ओडिशा में भर्ती परीक्षा 5 और 6 अक्टूबर को होनी थी, लेकिन अनियमितताओं का पता चलने के बाद इसे स्थगित कर दिया गया. अनियमितताओं का पता तब चला जब 114 अभ्यर्थियों और तीन संदिग्ध दलालों को 29 सितंबर की रात को आंध्र प्रदेश से लगी राज्य की सीमा पर उस समय गिरफ्तार किया गया जब वे भुवनेश्वर से विजयनगरम स्थित एक विशेष कोचिंग केंद्र जा रहे थे.
नौकरी मिलने के बाद देने थे 25 लाख रुपये
ओपीआरबी ने संयुक्त पुलिस सेवा परीक्षा (सीपीएसई) 2024 के संचालन का काम पीएसयू आईटीआई लिमिटेड को आउटसोर्स किया था, जिसने आगे यह काम भुवनेश्वर स्थित सिलिकॉन टेकलैब को उप-ठेके पर दे दिया. बदले में सिलिकॉन टेकलैब ने प्रुस्ती की अध्यक्षता वाली पंचसॉफ्ट टेक्नोलॉजीज को प्रमुख जिम्मेदारियां सौंपीं. पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार अभ्यर्थियों ने रैकेट को 10-10 लाख रुपये दिए थे और नौकरी मिलने के बाद उन्हें 25 लाख रुपये और देने थे. पुलिस ने बताया कि 30 सितंबर को ओडिशा सीमा पर स्थित पश्चिम बंगाल के दीघा में 110 अन्य उम्मीदवारों को भी इसी तरह की कोचिंग मिलनी थी, लेकिन ब्रह्मपुर में पुलिस कार्रवाई के कारण इसे रद्द कर दिया गया. राज्य सरकार ने इस घोटाले की सीबीआई जांच की सिफ़ारिश की है.
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