Constitution Day 2025: संविधान दिवस के मौके पर सीएम सिद्धारमैया ने बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि जो संविधान की जगह पर मनुस्मृति को पसंद करते हैं उनकी पहचान की जानी चाहिए.
Constitution Day 2025: भारत का संविधान 76 साल हो गया है और इस मौके पर पार्लियामेंट में संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठ हुआ. इसके अलावा देश भर के विभिन्न स्थानों पर कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं. इसी बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (CM Siddaramaiah) ने बुधवार को लोगों से उन संविधान विरोधी मनुवादियों की पहचान करने को कहा, जो संविधान की जगह पर मनुस्मृति को पसंद करते हैं. सिद्धारमैया ने चेतावनी दी कि डॉ. बीआर अंबेडकर (Dr. BR Ambedkar) का संविधान लागू होने से पहले देश में एक बिना लिखी मनुस्मृति चलती थी. वह यहां संविधान समारोह 2025 का उद्घाटन करने के बाद बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि मनुस्मृति में इंसानियत और बराबरी के खिलाफ जो नियम थे, उनकी जरूरत डॉ. अंबेडकर के संविधान में नहीं है. यही वजह है कि मनुवादी हमारे संविधान का विरोध करते हैं.
गैर-बराबरी को खत्म करने हमारे संविधान का मकसद
सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि एक बराबरी का समाज बनाना और गैर-बराबरी को खत्म करने हमारे देश के संविधान का सबसे बड़ा उद्देश्य है. सिद्धारमैया ने वहां मौजूद लोगों को याद दिलाया कि हम भारत के लोग संविधान का मूल मंत्र है. उनके मुताबिक इस देश के लोगों को किस तरह के संविधान की जरूरत है, इस पर एक साल तक संविधान सभा में पूरी चर्चा के बाद संविधान को मंजूरी दी गई थी. उन्होंने बताया कि दुनिया में फेडरल, यूनिटरी, लिखित और बिना लिखा हुआ संविधान है. हमारा संविधान लिखा हुआ है. साथ ही हमारे देश में जितनी जातियां और धर्म हैं वह किसी अन्य देश में देखने को नहीं मिलती है. यही वजह है कि बाबा साहेब ने देश को ऐसा संविधान दिया जिसको लोगों ने भी आत्मसात किया.
ऊंची जाति के लोग जाति नहीं छोड़ रहे : CM
वहीं, कर्नाटक सीएम ने अंबेडकर ने संविधान नहीं बनाया था के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि जाति व्यवस्था और उसके खतरों के बारे में अंबेडकर की गहरी समझ ने उन्हें आरक्षण का प्रावधान शामिल करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने आगे कहा कि आजादी, बराबरी और भाईचारे के संवैधानिक आदर्शों के बावजूद सीएम ने अफसोस जताया कि आजादी के कई सालों बाद भी ये ख्वाहिशें अधूरी हैं. उन्होंने कहा कि देश में बसवन्ना जैसे सुधारकों के जाति व्यवस्था के खिलाफ लड़ने के बाद भी ऊंची जाति के लोग जाति छोड़ नहीं रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि जाति तभी कमजोर होगी जब निचली जाति के शूद्रों को आर्थिक ताकत मिलेगी. साथ ही असमानता खत्म करने के लिए संवैधानिक लक्ष्य को पाने के लिए अपनी सरकार की भाग्य स्कीम पर जोर दिया.
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