Gyanvapi Dispute : वाराणसी अदालत में हिंदू पक्ष को तगड़ा झटका लगा है. हिंदू पक्ष ने कोर्ट में याचिका दायर करके वजूखाने पर लगे ताले पर बंधे कपड़े को बदलने की मांग की गई थी, जिसको अब खारिज कर दिया.
Gyanvapi Dispute : वाराणसी की जिला अदालत में शृंगार गौरी और ज्ञानवापी के ताले पर लगे कपड़े को बदलने वाली याचिका को खारिज कर दिया. ये कपड़ा वजूखाने पर लगे ताले पर बंधा था जिसको बदलने के लिए याचिका दायर की गई थी. हिंदू पक्ष की तरफ से पेश हुए वकील मदन मोहन यादव ने बताया कि जिला जज संजीव शुक्ला ने सील किए गए वज़ूखाने (नमाज़ से पहले हाथ-मुंह धोने की जगह) के ताले पर लगे कपड़े को बदलने वाली याचिका को खारिज कर दिया. साथ ही कहा कि क्योंकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए जिला अदालत को इस मुद्दे पर कोई आदेश देने का अधिकार नहीं है.
SC के निर्देशों का उल्लंघन नहीं
सुप्रीम कोर्ट में अभी प्लेसेज़ ऑफ़ वर्शिप (स्पेशल प्रोविज़न्स) एक्ट, 1991 पर सुनवाई चल रही है. इस पर मदन मोहन ने कहा कि पिछले दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत को निर्देश दिया था कि जब तक मामला उसके सामने विचाराधीन है, तब तक कोई नया मामला स्वीकार नहीं किया जाए और न ही कोई ऐसा आदेश पारित किया जाए जिससे शीर्ष अदालत में चल रही कार्यवाही प्रभावित हो जाए. शीर्ष अदालत के निर्देशों के अनुसार वाराणसी के सिविल जज द्वारा किए गए कोर्ट-ऑर्डर सर्वे के बाद 16-17 मई 2022 को ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाना इलाके को सील कर दिया गया था. कहा जा रहा था कि ताले पर बंधे कपड़े की हालत समय के साथ काफी खराब हो गई थी. साथ किसी भी बड़ी घटना को रोकने के लिए हिंदू पक्ष ने 8 अगस्त को इसे बदलने के लिए इजाजत मांगी थी जिसको अब कोर्ट ने खारिज कर दिया है.
ऐसे किया गया था ताला सीलबंद
आपको बताते चलें कि काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित ज्ञानवापी कॉम्प्लेक्स मस्जिद के नीचे मंदिर के ढांचे के अस्तित्व के दावों को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्षों के बीच लंबे समय से चल रहे कानूनी विवाद का केंद्र था. बता दें कि 16 मई, 2022 में सिविल जज रवि कुमार दिवाकर के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की पुष्टि के बाद ज्ञानवापी परिसर को सीलबंद करने के लिए ताला लगाया गया, जिस पर एक कपड़ा भी बांधा गया था. इसके बाद अगस्त महीने में राज्य सरकार की ओर से नियुक्त विशेष वकील की ओर से एडवोकेट कमिश्नर की कार्रवाई के दौरान तालाब को सील करने के लिए लगाए ताले पर बंधे कपड़ा काफी बेकार हो गया था और उसके बाद हिंदू पक्ष ने इसे बदलने की मांग की थी.
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