Home Top News ‘आरोपियों के वेरिफिकेशन का काम…’ जमीन के बदले नौकरी मामले में CBI ने कोर्ट को बताया

‘आरोपियों के वेरिफिकेशन का काम…’ जमीन के बदले नौकरी मामले में CBI ने कोर्ट को बताया

by Sachin Kumar
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Land-for-Jobs Scam : सीबीआई ने राउज एवेन्यू कोर्ट को बताया कि नौकरी के बदले जमीन में आरोपी अश्विनी कुमार मल्होत्रा की मौत के बाद वेरिफिकेशन का काम जारी है. साथ ही काफी हद पूरा कर लिया गया है.

Land-for-Jobs Scam : राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश की अदालत को ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने सोमवार को बताया कि उसने RJD प्रमुख लालू प्रसाद (Lalu Prasad), उनके परिवार के सदस्यों और अन्य लोगों से जुड़े कथित नौकरी के बदले जमीन घोटाले में आरोपियों का वेरिफिकेशन काफी हद तक पूरा कर लिया गया है. स्पेशल जज विशाल गोगने ने 4 दिसंबर को CBI से आरोपियों की स्थिति को वेरिफाई करने के बाद एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था. बता दें कि फिलहाल 103 आरोपियों में से चार लोगों की मौत हो चुकी है.

एक आरोपी की मौत बाद वेरिफिकेशन शुरू

आदेश में कोर्ट ने कहा कि CBI के सीनियर वकील ने बताया है कि पिछले आदेशों के अनुसार वेरिफिकेशन का काम काफी हद तक पूरा हो गया है. यह बताया गया है कि आरोपी अश्विनी कुमार मल्होत्रा (89) की मौत हो गई है. सीबीआई ने उक्त आरोपी के संबंध में डेथ वेरिफिकेशन रिपोर्ट (DVR) दाखिल करने के अलावा बाकी बचे किसी भी आरोपी की स्थिति को वेरिफाई करने के लिए समय मांगा था. इसके बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीफ 19 दिसंबर को तय की. वहीं, 10 नवंबर को जज ने आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश 4 दिसंबर तक टाल दिया था.

जांच ने कर दी थी चार्जशीट दाखिल

सीबीआई ने कथित घोटाले के सिलसिले में लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और उनके बेटे तेजस्वी यादव समेत अन्य के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी. अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया है कि मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित भारतीय रेलवे के पश्चिम मध्य जोन में ग्रुप-डी कैटेगरी में नियुक्तियां 2004 से 2009 तक लालू यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान की गई. आरोप है कि ये नियुक्तियां उन जमीनों के टुकड़ों के बदले में की गईं, जिन्हें नौकरी पाने वालों ने राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो के परिवार के सदस्यों और सहयोगियों के नाम पर तोहफे के रूप में ट्रांसफर की थी.

2004-09 के बीच की गई नियुक्तियां

वहीं, सीबीआई ने दावा किया कि नियुक्तियां नियमों का उल्लंघन करके की गईं और इन लेन-देन में बेनामी संपत्तियां शामिल थी, जो आपराधिक कदाचार और साजिश के बराबर है. फिलहाल कोर्ट में आरोपियों ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है और यह मामला पूरी तरह से राजनीतिक रूप से प्रेरित है.

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