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बहराइच में कथावाचक को ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ देने पर बवाल, DGP ने SP से मांगा जवाब

by Live Times
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Bahraich Kathawachak Controversy

Bahraich Kathawachak Controversy: बहराइच में कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी को एक पुलिस कार्यक्रम में ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया, जिसके बाद सियासी बहस शुरू हो गई है.

19 December, 2025

Bahraich Kathawachak Controversy: उत्तर प्रदेश के बहराइच में कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी को लेकर बवाल मच गया है. बहराइच में कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी को एक पुलिस कार्यक्रम में ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया, जिसकी वीडियो वायरल हो गई. इसके बाद आजाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर आजाद और अखिलेश यादव ने पुलिस पर सवाल उठाया. मामले का संज्ञान लेते हुए यूपी डीजीपी ने एसपी को तलब किया है और उनसे नियमों का उल्लंघन करने पर जवाब मांगा है.

डीजीपी ने किया तलब

यूपी पुलिस ने एक्स पर पोस्ट के जरिए जानकारी दी. पोस्ट में लिखा है कि ‘जनपद बहराइच में आयोजित एक कार्यक्रम में पुलिस परेड ग्राउंड के अनधिकृत उपयोग का पुलिस महानिदेशक महोदय द्वारा संज्ञान लिया गया है. पुलिस परेड ग्राउंड का उपयोग केवल पुलिस प्रशिक्षण, अनुशासन एवं आधिकारिक समारोहों हेतु निर्धारित मानकों के अनुसार किया जाना अनिवार्य है. निर्धारित मानकों के उल्लंघन के दृष्टिगत संबंधित पुलिस अधीक्षक से स्पष्टीकरण तलब किया गया है.’

अखिलेश और चंद्रशेखर ने उठाए सवाल

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि जब पूरा पुलिस महकमें सलामी देने में व्यस्त रहेगा, तो राज्य के अपराधी मौज करेंगे. पुलिस अपनी ड्यूटी में फेल हो रही है. वे वह काम नहीं कर रहे हैं जो उन्हें करना चाहिए. अपराध और माफिया राज को रोकने के बजाय, वे सलामी देने के इस खेल में लगे हुए हैं. वहीं, आज़ाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने भी सीएम योगी पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत कोई मठ नहीं, बल्कि एक संवैधानिक गणराज्य है, और राज्य किसी खास धर्म की निजी संपत्ति नहीं है. एक धार्मिक उपदेशक, पुंडरीक गोस्वामी को यूपी पुलिस परेड और सलामी दे रही है. यह सिर्फ एक प्रशासनिक गलती नहीं है, बल्कि संविधान पर सीधा हमला है.

किसे दिया जाता है ‘गॉर्ड ऑफ ऑनर’ ?

बता दें, ‘गॉर्ड ऑफ ऑनर’ जैसा संवैधानिक सम्मान सरकारी पदों पर बैठे व्यक्तियों को खास मौके पर दिया जाता है, लेकिन एक कथावाचक को ऐसा सम्मान देने पर पुलिस प्रोटोकॉल और नियमों को लेकर सियासी बहस शुरु हो गई है. जैसे ही इस कार्यक्रम के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर की गईं, पुलिस प्रशासन पर सवाल उठने लगे. लोगों ने भी सोशल मीडिया पर कथावाचक को संवैधानिक सम्मान देने पर नाराजगी जताई है.

यह भी पढ़ें- लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी G RAM G बिल पास, संसद के बाहर रातभर धरने पर बैठा रहा विपक्ष

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