Home चुनाव TMC ने चुनाव आयोग को लिखा पत्र, कहा – आदर्श आचार संहिता अब बन गई ‘मोदी आचार संहिता’

TMC ने चुनाव आयोग को लिखा पत्र, कहा – आदर्श आचार संहिता अब बन गई ‘मोदी आचार संहिता’

by Rashmi Rani
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Election Commission of India

TMC Wrote Letter To EC: तृणमूल कांग्रेस ने मंगलवार को चुनाव आयोग(Election Commission of India) से BJP को लेकर शिकायत की है.

14 May, 2024

TMC Wrote Letter To EC: तृणमूल कांग्रेस ने मंगलवार को चुनाव आयोग(Election Commission of India) से BJP को लेकर शिकायत की है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत उनके नेताओं द्वारा चुनाव आचार संहिता के घोर उल्लंघन का आरोप लगाया गया है. पोल पैनल को इसको लेकर पत्र सौंपा गया है. टीएमसी के राज्यसभा सांसद साकेत गोखले और सागरिका घोष ने कहा कि चुनाव आयोग की निष्क्रियता से काफी निराशा हो रही है.

शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई

उन्होंने कहा कि जे.पी.नड्डा को नोटिस दिया गया था, लेकिन हमारी शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. इसके बजाय पीएम मोदी अपनी टिप्पणियों में और अधिक साहसी हो गए हैं. वह चुनाव के दौरान ऐसे वादे कर रहे हैं जिन्हें करने का उन्हें कोई अधिकार नहीं है, वित्तीय घोषणाएं कर रहे हैं. ऐसी योजनाएं जिन्हें उनकी पार्टी सत्तारूढ़ दल के रूप में लागू नहीं कर सकती है. उन्होंने चुनाव आयोग के मुख्यालय के बाहर कहा कि आदर्श आचार संहिता की अवहेलना होती दिख रही है.

आदर्श आचार संहिता को सख्ती से लागू किया जाए

साकेत गोखले और सागरिका घोष ने दावा किया कि चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के लिए पीएम मोदी को जिम्मेदार नहीं ठहराया रहा है. चुनाव आयोग की निगरानी में आदर्श आचार संहिता अब मोदी आचार संहिता बन गई है. मोदी द्वारा दिया गया कोई भी बयान अनियंत्रित हो जाता है और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है. यह हमारे चुनावों की निष्पक्षता को कमजोर करता है. हमने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मांग की है कि चुनाव के शेष चरणों के लिए आदर्श आचार संहिता को सख्ती से लागू किया जाए, शिकायतों पर कार्रवाई की जाए और हर बार चुनाव नियमों का उल्लंघन करने पर प्रधानमंत्री मोदी को क्लीन चिट न दी जाए.

आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन पर लगाएं रोक

पत्र में कहा गया है कि आपसे आग्रह है मोदी के संरक्षण में BJP और उसके नेताओं द्वारा आदर्श आचार संहिता के इस तरह के घोर उल्लंघन पर रोक लगाएं. इन चिंताओं को दूर करने में विफलता न केवल चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता को कमजोर करेगी बल्कि जनता का विश्वास भी कम करेगी.

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