Uttarakhand Forest Department : उत्तराखंड वन विभाग ने राज्य के 7 अलग-अलग जंगली इलाकों में संरक्षित 2000 से ज्यादा पौधों की प्रजातियों पर रिपोर्ट जारी की है.
30 May, 2024
उत्तराखंड वन विभाग (Uttarakhand Forest Department) ने राज्य के सात अलग-अलग जंगली इलाकों में संरक्षित दो हजार से ज्यादा पौधों की प्रजातियों पर रिपोर्ट जारी की है. इसके मुताबिक, वन विभाग की रिसर्च विंग ने साल 2020 में 1145 पौधों की प्रजातियों को संरक्षित करने का जिम्मा संभाला था. इन चार साल में संरक्षित पौधों की संख्या दोगुनी हो गई है. वन विभाग की रिसर्च विंग की ओर से तैयार इस ताजा रिपोर्ट में 2447 पौधों का जिक्र किया गया है.
रोजमर्रा की जरूरत से होता है कई प्रजातियों का संबंध
यहां पर बता दें कि उत्तराखंड वन विभाग के पास इन-सीटू पौधों की प्रजातियों को उनके नेचुरल हैबिटेट और एनवायर्नमेंट में संरक्षित (Reserve) करने का तरीका है. वहीं, एक्स-सीटू में पौधों की प्रजातियों को उनके नेचुरल हैबिटेट के बाहर संरक्षित (Reserve) किया जाता है. इस बारे में हेड ऑफ रिसर्च एंड चीफ फॉरेस्ट कंजर्वेटर संजीव चतुर्वेदी का कहना है कि वनस्पतियां जिसमें झाड़ियां, आर्किड, बांस की प्रजातियां, लता प्रजातियां ये सब सम्मिलित हैं. इनका हमारा रोजमर्रा के जीवन में इतना महत्वपूर्ण स्थान रहता है, लेकिन विभिन्न कारणों से जिनमें प्राकृतिक वासस्थलों का क्षय या अवैध दोहन या स्मगलिंग है. साथ में कुछ बाह्य आक्रमक प्रजातियों के चलते उनकी संख्या में लगातार गिरावट आई है. इसके बारे में लोगों को जागरूक करना हमारा मुख्य उद्देश्य है.
उत्तराखंड में पौधों के संरक्षण देश में कार्यक्रमों में से एक
वन विभाग की रिसर्च विंग की ओर से तैयार इस रिपोर्ट में 2447 पौधों का जिक्र किया गया है. विभाग की ओर से पौधों की प्रजातियों पर पांचवीं सालाना रिपोर्ट जारी हुआ है. वहीं रिपोर्ट मई महीने की शुरुआत में इंटरनेशनल बायोडायवर्सिटी डे पर जारी की गई थी. इसके अलावा, वन अधिकारियों के मुताबिक, उत्तराखंड में पौधों के संरक्षण का कार्यक्रम देश में सबसे बड़े कार्यक्रमों में से एक है.
पौधों में 70 प्रजातियां पाई जाती हैं हिमालय में
हेड ऑफ रिसर्च एंड चीफ फॉरेस्ट कंजर्वेटर संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि पौधों में 100 से ज्यादा ऐसी प्रजातियां है, जो आईयूसीएन (IUCN) की रेड लिस्ट क्रिटिकली एनडेंजर्ड, थ्रेटेंड, एनडेंजर्ड या वल्नरेबल की लिस्ट में है. साथ ही हमारे राज्य की लिस्ट में भी हैं और लगभग 70 के करीब ऐसी प्रजातियां जो पूरी दुनिया में केवल भारतीय हिमालयी क्षेत्रों में ही पाई जाती है. इनको हम एंडेमिक प्रजाति कहते हैं या स्थानीय प्रजाति कहते हैं. इस तरह की प्रजातियां एक ही भौगोलिक क्षेत्रों में पाई जाती है तो इनका भी लुप्त होने का संकट काफी बढ़ा रहता है.
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