Home राज्यMaharashtra ‘राहुल गांधी को जल्द फैसला लेने का वैध अधिकार’, बॉम्बे HC बोला- आर्टिकल 21 शीघ्र सुनवाई का देता है हक

‘राहुल गांधी को जल्द फैसला लेने का वैध अधिकार’, बॉम्बे HC बोला- आर्टिकल 21 शीघ्र सुनवाई का देता है हक

by Live Times
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Rahul Gandhi Defamation : राहुल गांधी के 10 साल पुराने मामले पर बॉम्बे हाई कोर्ट की टिप्पणी सामने आई है. कोर्ट ने कहा कि आर्टिकल 21 देश के नागरिकों को शीघ्र सुनवाई का अधिकार देता है.

16 July, 2024

Rahul Gandhi Defamation : लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के खिलाफ कथित टिप्पणी मानहानि मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि सभी को शीघ्र फैसला लेने का वैध अधिकार है. हाई कोर्ट की एकल पीठ न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण (Justice Prithviraj Chavan) ने अपनी टिप्पणी में कहा कि आर्टिकल 21 देश के हर व्यक्ति को अधिकार प्रदान करता है. इसके लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई की जरूरत है.

RSS टिप्पणी को लेकर राहुल पर मानहानि केस

हाई कोर्ट की यह टिप्पणी राहुल गांधी के उस मामले में आई है, जिसमें प्रतिपक्ष नेता की याचिका को स्वीकार करते हुए मजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी. वर्ष 2014 में संघ कार्यकर्ता राजेश कुंट (Sangh worker Rajesh Kunt) ने भिवंडी मजिस्ट्रेट कोर्ट में एक मानहानि मामले की शिकायत दर्ज कराई थी. इसमें उन्होंने कहा था कि राहुल गांधी ने एक जनसभा में कहा था कि महात्मा गांधी की हत्या के लिए RSS जिम्मेदार है. सुनवाई के दौरान कुंटे को अदालत में राहुल के भाषण की टिप्पणी देने वाला वीडियो देने के लिए बोला गया. यह टिप्पणी कांग्रेस नेता ने वर्ष 2014 में की थी. इसको रद्द करने की मांग की गई है. कुंटे ने यह भी कहा कि अपने भाषण में विषय वस्तु को राहुल गांधी ने स्वीकार किया है.

मामले को लंबा खींचा जा रहा है : हाई कोर्ट

राहुल गांधी ने इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी. न्यायमूर्ति चाव्हण ने आदेश में कुंटे से सवाल किया कि अनावश्यक रूप से मामले को लंबा खींचा जा रहा है और याचिकाकर्ता (राहुल गांधी) के वैध अधिकार विफल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि आर्टिकल 21 के तहत गुण-दोष के आधार पर शीघ्र निर्णय किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि सामान्य कानून के तहत न्याय न केवल मिलना चाहिए, बल्कि वह दिखना भी चाहिए की सच में न्याय हुआ है. वहीं, निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि मजिस्ट्रेट ने कुंटे को सबूतों के रूप में दस्तावेजों पर भरोसा करने की अनुमति देते हुए आपराधिक न्यायशास्त्र के सबसे प्रमुख सिद्धांत की अवहेलना की है. अब कोर्ट ने निचली अदालत को आदेश दिया है कि इस पर तत्काल निर्णय ले और 10 पुराने केस का निपटारा करे.

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