Home राष्ट्रीय SAARC का किया जाए पुनरुद्धार, बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार बोले- कई समस्याओं का हो सकता है हल

SAARC का किया जाए पुनरुद्धार, बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार बोले- कई समस्याओं का हो सकता है हल

by Sachin Kumar
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SAARC revived Bangladesh chief advisor Muhammad Yunus many problems solved

SAARC Revived : सार्क सम्मेलन बीते कई वर्षों से नहीं हुआ है. इसको लेकर मोहम्मद यूनुस ने कहा कि यह संगठन सिर्फ कागजों में रह गया है लेकिन इसे एक बार फिर पुनर्जीवित करने की जरुरत है.

06 September, 2024

SAARC Revived : दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) राजनीति पर केंद्रित एक ग्रुप है जिसका कार्य आर्थिक सहयोग को भी बढ़ावा देना है. लेकिन भारत और पाकिस्तान की सीमाओं पर बढ़ती आतंकी घटनाओं को लेकर इसकी भूमिका निष्क्रिय होती गई है. संगठन को लेकर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद युनुस (Muhammad Yunus) ने कहा कि सार्क की भावना को एक बार फिर पुनर्जीवित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि 8 सदस्यों वाला यह ग्रुप कई समस्याओं का समाधान कर सकता है.

सार्क का गठन महान उद्देश्य के लिए किया गया

बांग्लादेश की राजधानी ढाका में मुख्य सलाहकार मोहम्मद युनुस समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा कि SAARC का गठन एक महान उद्देश्य के लिए किया गया था. लेकिन अब यह सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सीमित रह गया है. उन्होंने आगे कहा कि इस महीने के अंत में संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) से मुलाकात करने की कोशिश करेंगे. साथ ही सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्षों को एक मंच पर लाकर फोटो भी खिंचवाएंगे क्योंकि मेरा उद्देश्य है कि सार्क को एक बार फिर पुनर्जीवित किया जाए.

2016 में होना था शिखर सम्मेलन

बता दें कि साल 2016 में सार्क शिखर सम्मेलन पाकिस्तान में आयोजित किया जाना था लेकिन उसी वर्ष जम्मू-कश्मीर के उरी में भारतीय सेना के शिविर हमला होने के बाद भारत ने शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए मना कर दिया था. वहीं, बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान ने भी इस शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए इन्कार कर दिया था और इसके बाद सम्मेलन को रद्द कर दिया गया. बांग्लादेश सरकार के अंतिम सलाहकार का कहना है कि सार्क का गठन यूरोपीय संघ की तर्ज पर किया गया था. लेकिन आपसी सहयोग नहीं होने की वजह से कागज पर दर्ज रह गया है. वहीं, इस संगठन को एक बार फिर पुनर्जीवित करने की जरुरत है क्योंकि अगर ऐसा होता है तो दक्षिण एशियाई देशों की कई समस्याओं का समाधान हो सकता है.

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