Home Latest News & Updates राज-उद्धव तय करेंगे राज्य में हाथ मिलाना है या नहीं? शिवसेना बोली- MNS प्रमुख का पता नहीं रुख किस तरफ है

राज-उद्धव तय करेंगे राज्य में हाथ मिलाना है या नहीं? शिवसेना बोली- MNS प्रमुख का पता नहीं रुख किस तरफ है

by Sachin Kumar
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Raj-Uddhav decide whether join hands state or not

Maharashtra Politics : महाराष्ट्र चुनाव में राज ठाकरे की पार्टी MNS का एक भी उम्मीदवार नहीं जीतने और शिवेसना (UBT) को भारी झटका लगने के बाद चर्चा तेज हो गई है कि इस बार दोनों राजनीतिक दल हाथ मिला सकते हैं.

Maharashtra Politics : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद शिवसेना (यूबीटी) को बड़ा झटका लगा है और राज्य में पहली बार 20 सीटें ही जीत पाई है. साथ ही उनके चचेरे भाई की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) को राज्य में एक भी उम्मीदवार नहीं जीत पाया है. ऐसे में MNS का क्षेत्रीय पार्टी के दर्ज पर खतरा मंडरा रहा है और इलेक्शन कमीशन चुनाव चिह्न छीन सकता है. कुल मिलाकर दोनों भाईयों को विधानसभा चुनाव में झटका लगने के बाद चर्चा तेज हो गई है कि अब दोनों को हाथ मिला लेना चाहिए. इसी बीच शिवसेना (यूबीटी) नेता अंबादास दानवे का कहना है कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ही तय कर सकते हैं कि हाथ मिलाना है या नहीं.

राज ठाकरे की बात में स्पष्टता नहीं

अंबादास दानवे ने कहा कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे की राजनीतिक स्थिति अस्पष्ट है और लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कि वह महायुति सरकार का समर्थन कर रहे हैं या विरोध कर रहे हैं. विधानसभा परिषद में विपक्ष के नेता ने कहा कि हर चुनाव के बाद ऐसा लगता है कि अब दोनों चचेरे भाई आगामी इलेक्शन के लिए हाथ मिला सकते हैं. उन्होंने आगे कहा कि चुनाव नतीजे आने के 10-12 दिन तक ऐसी चर्चाओं का बाजार गर्म रहेगा. वहीं, उद्धव खेमे के एक वफदार ने कहा कि अभी तक राज ठाकरे का राजनीतिक रुख स्पष्ट नहीं है. लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि वह सरकार के पक्ष में खड़े हैं या उनके विरोध में है.

MNS का नहीं जीता कोई भी उम्मीदवार

इस विधानसभा चुनाव में MNS ने महायुति के खिलाफ उम्मीदवार उतारे जबकि उन्होंने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर देवेंद्र फडणवीस की वकालत की. इन सारी घटनाओं को देखने को बाद कहा कि लगता है कि उनके कोई स्पष्टता नहीं है. MNS ने चुनाव में 125 उम्मीदवार मैदान में उतारे, लेकिन उनमें एक भी जीत दर्ज नहीं कर पाया. दूसरी तरफ उद्धव के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 95 सीटों पर चुनाव लड़ था और 20 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी. ऐसे में चर्चा हो रही है कि अब दोनों चचेरे भाईयों को आगामी चुनाव के लिए हाथ मिलाकर मजबूती से चुनाव लड़ने में ध्यान देना चाहिए.

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