Home Top News Business: SEBI ने MCX पर लिया बड़ा एक्शन, जानें किस वजह से लगा 25 लाख का जुर्माना

Business: SEBI ने MCX पर लिया बड़ा एक्शन, जानें किस वजह से लगा 25 लाख का जुर्माना

by Jiya Kaushik
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Business Update: MCX पर SEBI की सख्ती यह दर्शाती है कि बाजार नियामक पारदर्शिता और निवेशकों के हितों के मामले में कोई समझौता नहीं करता.

Business Update: MCX पर SEBI की सख्ती यह दर्शाती है कि बाजार नियामक पारदर्शिता और निवेशकों के हितों के मामले में कोई समझौता नहीं करता.

Business Update: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया (MCX) पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. यह कार्रवाई ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर अनुबंध के तहत 63 मून्स टेक्नोलॉजीज को किए गए भारी भुगतान को समय पर और सही तरीके से उजागर न करने के कारण की गई है. यह जानकारी कंपनी के मुनाफे को प्रभावित करने वाली और निवेशकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी गई थी. यह मामला अन्य कंपनियों के लिए भी एक चेतावनी है कि वे समय पर और सटीक फाइनेंसियल जानकारी सार्वजनिक करें, अन्यथा उन्हें कानूनी परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.

MCX पर लगी 25 लाख की पेनाल्टी

बाजार नियामक सेबी ने एमसीएक्स पर कार्रवाई करते हुए 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. यह सजा 63 मून्स टेक्नोलॉजीज को किए गए भारी भुगतान के खुलासे में चूक के चलते दी गई है. सेबी के आदेश के अनुसार, यह राशि 45 दिनों के भीतर जमा करनी होगी.

ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर अनुबंध से जुड़ा है मामला

Sebi imposes ₹25 lakh fine on MCX for disclosure lapses, misleading info |  Company News - Business Standard

यह मामला 63 मून्स टेक्नोलॉजीज (पहले फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज इंडिया लिमिटेड) के साथ किए गए ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर अनुबंध से संबंधित है. 2003 में किए गए इस अनुबंध के तहत MCX ने लंबे समय तक 63 मून्स से सेवाएं लीं. 2020 में एमसीएक्स ने टीसीएस के साथ नया प्लेटफॉर्म बनाने का करार किया, लेकिन उसमें देरी के कारण 63 मून्स से सेवा विस्तार लेना पड़ा.

222 करोड़ के भुगतान का समय पर नहीं हुआ खुलासा

एमसीएक्स ने 2022 की अंतिम तिमाही से 2023 की दूसरी तिमाही तक 63 मून्स को कुल 222 करोड़ रुपये का भुगतान किया, जो कंपनी के वित्त वर्ष 2021-22 के लाभ (118 करोड़ रुपये) से लगभग दोगुना था. इतना बड़ा भुगतान होने के बावजूद इसका खुलासा जनवरी 2023 में ही किया गया.

यह जानकारी निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण थी

सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया ने स्पष्ट किया कि यह जानकारी अत्यंत महत्वपूर्ण थी क्योंकि भुगतान की राशि बहुत अधिक थी और इससे कंपनी की लाभप्रदता पर सीधा असर पड़ता. एलओडीआर रेगुलेशन्स के तहत ऐसे महत्वपूर्ण विवरणों को सार्वजनिक रूप से साझा किया जाना चाहिए था. सेबी ने अपने आदेश में कहा कि एमसीएक्स ट्रांसपरेंसी बरतने में विफल रहा, जिससे निवेशकों को कंपनी के वास्तविक वित्तीय स्वास्थ्य की जानकारी नहीं मिल सकी. यह खुलासे की जिम्मेदारी के उल्लंघन का मामला है, जिसे गंभीरता से लिया गया.

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