India-Pakistan War: भारत जैसे देश से बदला लेना पाकिस्तान को इतना भारी पड़ गया की अब महज कुछ ही दिनों के अंदर पाकिस्तान की अर्थव्यस्था की हवा निकलती दिखाई दी है. भारत को रोकने की लिए पाक ने जहां एक तरफ अमेरिका के सामने घुटने टेके तो वहीं दूसरी तरफ खुद अर्थव्यस्था भी हिल गई.
India-Pakistan War: कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जवाबी कार्रवाई में भारत द्वारा लॉन्च किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने पाकिस्तान को न केवल सैन्य रूप से बल्कि आर्थिक मोर्चे पर भी गहरा झटका दिया है. कराची स्टॉक एक्सचेंज की भारी गिरावट, निवेशकों की संपत्ति में अरबों का नुकसान, और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम होती पाकिस्तान की छवि- इन सबने एक अस्थिर अर्थव्यवस्था को और कमजोर कर दिया. जबकि पाकिस्तान को आईएमएफ से राहत की उम्मीद थी, ऑपरेशन सिंदूर ने उस उम्मीद से भी कहीं अधिक आर्थिक हानि पहुंचा दी है.
कराची स्टॉक एक्सचेंज की गिरावट ने किया सभी को हैरान
भारत की जवाबी कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर के शुरू होते ही पाकिस्तान का शेयर बाजार पर लगातार तीन दिन तक संकट मंडराता रहा. महज दो दिनों में कराची स्टॉक एक्सचेंज में 10,000 से अधिक अंकों की गिरावट देखी गई. इस गिरावट के कारण बाजार में ट्रेडिंग तक रोकनी पड़ी. भारत पाक के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए निवेशकों का भरोसा डगमगा गया और लगभग 80 हजार करोड़ रुपए की संपत्ति का नुकसान हुआ. यह स्थिति पाकिस्तान की नाजुक वित्तीय हालत को और गहरा करती है. और अगर यह स्थिति कायम रही तो भोत जल्द पाकिस्तान कंगाल हो चुका होगा.

जितने का उधार लिया उससे ज्यादा का घाटा हो गया
हाल ही में, पाकिस्तान को आईएमएफ से लगभग 2.1 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज की मंजूरी मिली है, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के कारण केवल तीन दिन में ही स्टॉक मार्केट में 2.85 अरब डॉलर का नुकसान हो गया. यह आंकड़ा आईएमएफ से मिलने वाली मदद से अधिक है, जिससे साफ होता है कि पाकिस्तान की वित्तीय क्षति अस्थायी राहत योजनाओं से भी नहीं सुलझाई जा सकती. इससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की नाजुकता उजागर होती है.
पाक को हर क्षेत्र में हुआ नुकसान
भारत के हमलों से सिर्फ आर्थिक क्षेत्र ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान की राजनीतिक और कूटनीतिक स्थिति भी प्रभावित हुई है. पाक का सीमावर्ती इलाकों में सेना को हाई अलर्ट पर रखने, हथियारों की तैनाती और सैन्य अभियानों की तैयारी पर भारी खर्चा हुआ है. इसके अलावा आतंकवादी अड्डों पर हमलों से नागरिक संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचा, जिससे मुआवजे और मरम्मत पर अतिरिक्त बोझ पड़ा है. भारत से व्यापारिक संबंधों में कटौती ने पाकिस्तानी निर्यातकों को भी बड़ा नुकसान पहुंचाया है.
यह भी पढ़ें: लड़ नहीं सका तो अमेरिका से जान की भीख मांगने पहुंचा पाक! आज से नहीं सालों पहले का है ये रिवाज
