Kolkata News: भारतीय चावल निर्यातकों ने मंगलवार को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा भारतीय चावल पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की संभावित कार्रवाई पर उद्योग जगत में कोई बड़ी चिंता नहीं है.
Kolkata News: भारतीय चावल निर्यातकों ने मंगलवार को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा भारतीय चावल पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की संभावित कार्रवाई पर उद्योग जगत में कोई बड़ी चिंता नहीं है. भारत चावल निर्यातक महासंघ (IREF) के अध्यक्ष प्रेम गर्ग ने बताया कि अमेरिका को होने वाला चावल निर्यात भारत की कुल निर्यात मात्रा का बहुत छोटा हिस्सा है, इसलिए शुल्क लगने की स्थिति में भी इसका व्यापक प्रभाव नहीं पड़ेगा. गर्ग ने बताया कि अमेरिका को बासमती चावल का निर्यात 3 प्रतिशत से भी कम है. वहीं भारत के कुल चावल निर्यात करीब 210 लाख टन में अमेरिका की हिस्सेदारी केवल एक प्रतिशत से भी कम है. उन्होंने बताया कि अमेरिका हर वर्ष मात्र 2.7 लाख टन भारतीय चावल आयात करता है, जो भारत की वैश्विक आपूर्ति की तुलना में बेहद कम है. गर्ग ने अमेरिकी अधिकारियों द्वारा लगाए गए इस आरोप को भी खारिज किया कि भारत वैश्विक बाजार में चावल डंप कर रहा है.
अतिरिक्त शुल्क का नहीं पड़ेगा असर
उन्होंने कहा कि भारतीय चावल की मांग स्थिर बनी हुई है और भारत के लिए अमेरिका कोई बड़ा बाजार नहीं है. इसके अलावा भारतीय निर्यातकों को नए और उभरते वैश्विक बाजारों से अच्छी मांग मिल रही है, जिससे समग्र निर्यात बास्केट मजबूत बनी हुई है. उनकी यह टिप्पणी वाशिंगटन में भारतीय चावल पर अतिरिक्त शुल्क लगाने पर चर्चा के बीच आई है, जिस पर पहले से ही 50 प्रतिशत टैरिफ लगता है. गर्ग ने कहा कि छह महीने पहले 10 प्रतिशत से शुरू होकर यह शुल्क 25 प्रतिशत और फिर पिछले तीन महीनों में 50 प्रतिशत तक बढ़ गया है. इसका मांग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है. उन्होंने कहा कि नवंबर में निर्यात पिछले साल के समान ही रहा. उद्योग जगत के लोगों ने कहा कि शुल्क में आगे कोई भी वृद्धि मुख्य रूप से अमेरिकी उपभोक्ताओं द्वारा वहन की जाएगी. राइस विला समूह के सीईओ सूरज अग्रवाल ने कहा कि अमेरिका को निर्यात की जाने वाली भारतीय बासमती और प्रीमियम गैर-बासमती किस्में एशियाई और मध्य पूर्वी समुदायों के लिए आवश्यक खाद्यान्न हैं.
खाड़ी देश बासमती के प्रमुख बाजार
उन्होंने कहा कि ये आवश्यक वस्तुएं हैं, विलासिता की वस्तुएं नहीं. मांग पर प्रभाव नगण्य होगा. किसी भी अतिरिक्त शुल्क का खामियाजा केवल अमेरिकी उपभोक्ताओं को ही भुगतना पड़ेगा. भारत, जो वैश्विक चावल निर्यात का 40 प्रतिशत आपूर्ति करता है और 172 देशों को निर्यात करता है, में लगातार मजबूत मांग देखी जा रही है. खाड़ी देश बासमती के प्रमुख बाजार बने हुए हैं, वहीं अफ्रीकी देश तेजी से बढ़ते खरीदार के रूप में उभरे हैं. उदाहरण के लिए, बेनिन ने पिछले साल 60,000 टन से अधिक बासमती का आयात किया. गर्ग ने कहा कि यह एक नया बाजार है जो बहुत तेजी से विस्तार कर रहा है. रूस ने भी गैर-बासमती किस्मों पर अपने पारंपरिक फोकस से आगे बढ़ते हुए बासमती की खरीद शुरू कर दी है. उन्होंने कहा कि ब्राजील और थाईलैंड जैसे प्रमुख चावल उत्पादक देश भी भारतीय बासमती का आयात कर रहे हैं. गर्ग ने कहा कि भारत चीन को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे बड़ा चावल उत्पादक बन गया है और अगले साल घरेलू उत्पादन में 4-5 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है क्योंकि किसानों को बेहतर मूल्य मिल रहा है.
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