Home International बांग्लादेश ने IMF से की मदद की गुहार, आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा देश; इतने रुपयों की मांगी मदद

बांग्लादेश ने IMF से की मदद की गुहार, आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा देश; इतने रुपयों की मांगी मदद

by Live Times
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Mohammad Yunus

Bangladesh IMF Aid : पाकिस्तान के बाद से अब बांग्लादेश ने भी IMF से मदद की गुहार लगाई है. उसने IMF से 762 मिलियन डॉलर की सहायता की मांग की है.

Bangladesh IMF Aid : पाकिस्तान के बाद से पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश ने भी अब IMF से मदद की गुहार लगाई है. लगातार आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे बांग्लादेश ने IMF से 762 मिलियन डॉलर की सहायता की मांग की है. इसके बाद स उसे मिलने वाली कुल मदद लगभग 4.1 अरब डॉलर हो जाएगी. इसकी जानकारी खुद IMF ने साझा की है.

मंजूरी का इंतजार

इस कड़ी में IMF ने एक बयान के जरिए बताया कि कर्मचारी-स्तरीय समझौते को IMF कार्यकारी बोर्ड की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं. यह टैक्स सुधारों और पूरे विनिमय दर उदारीकरण समेत पूर्व की कार्रवाइयों पर निर्भर करता है. वहीं, बांग्लादेश क सहायते को लेकर IMF के मिशन प्रमुख क्रिस पापागोर्गियो ने कहा कि इन आर्थिक चुनौतियों के बीच अधिकारियों ने ECF और EFF व्यवस्थाओं के जरिए बांग्लादेश को आर्थिक मदद के लिए SDR से 567.2 मिलियन की बढ़ोतरी का अनुरोध किया.

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कितनी मिली कुल सहायता?

यहां आपको बता दें कि इस वृद्धि से ECF और EFF के तहत कुल वित्तीय मदद करीब 3,035.65 मिलियन यानी 4.1 अरब अमेरिकी डॉलर हो जाएगी. इसके साथ ही समवर्ती RSF व्यवस्थाओं के तहत SDR लगभग 1.3 अरब अमेरिकी डॉलर होगी. वहीं, तीसरी और चौथी समीक्षा पूरी होने के बाद से ये SDR 983.8 मिलियन यानि कि लगभग 1.3 अरब अमेरिकी डॉलर उपलब्ध कराए जाएंगे, जिसमें ईसीएफ और ईएफएफ के तहत एसडीआर 650.5 मिलियन लगभग 874 मिलियन अमेरिकी डॉलर और आरएसएफ के तहत एसडीआर 333.3 मिलियन लगभग 448 मिलियन अमेरिकी डॉलर शामिल हैं.

IMF ने दिया बयान

गौरतलब है कि IMF की ओर से दिए गए बयान में उन्होंने कहा कि महंगाई दर अब घट रही है और साल 2025 के आखिरी तक यह 8.5 प्रतिशत तक हो सकता है. ऐसे में बैंकिंग सेक्टर में दबाव और वैश्विक अनिश्चितता जैसे घरेलू कारक अब भी खतरा बना हुआ है. इस कड़ी में IMF ने सख्त नीति अपनाते हुए संस्थानों में सुधार पर जोर दिया है. उन्होंने आगे कहा कि बांग्लादेश बैंक की स्वतंत्रता और शासन को मजबूत करने के लिए संस्थागत सुधार करना जरूरी है, ताकि विदेशी निवेश में बढ़त हो सके और देश की अर्थव्यवस्था लंबे समय तक स्थिर रह सके.

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