Manipur Encounter: सेना की ईस्टर्न कमांड की तरफ से इस मुठभेड़ को लेकर सोशल मीडिया पर जानकारी साझा की गई है. जानकारी के अनुसार अभी भी ये ऑपरेशन चलाया जा रहा है.
Manipur Encounter: मणिपुर के चंदेल जिले में सुरक्षाबलों की उग्रवादियों के साथ एक जोरदार मुठभेड़ हुई है. जिसमें 10 उग्रवादियों को सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया. असम राइफल्स की टीम इस खतरनाक ऑपरेशन में जुटी हुई थी. सेना की ईस्टर्न कमांड की तरफ से इस मुठभेड़ को लेकर सोशल मीडिया पर जानकारी साझा की गई है. जानकारी के अनुसार अभी भी ये ऑपरेशन चलाया जा रहा है.
सेना की पूर्वी कमांड की तरफ से चलाया गया ऑपरेशन
सेना की ईस्टर्न कमांड की तरफ से सोशल मीडिया पर जानकारी साझा कर बताया गया कि,’भारत-म्यांमार बॉर्डर के नजदीक में स्थित मणिपुर के चंदेल जिले में उग्रवादियों के एक ग्रुप के सशस्त्र गुजरने की इंटेलिजेंस इनपुट मिले थे. जिसके बाद ये कार्रवाई की गई. जिसमें असम राइफल्स की यूनिट ने इस ग्रुप के 10 उग्रवादियों को ढेर कर दिया है. इन उग्रवादियों के पास से भारी मात्रा में गोला-बारूद प्राप्त हुए हैं.
क्या है मणिपुर में उग्रवाद की जड़
मणिपुर में उग्रवाद की समस्या कई दशकों से चली आ रही है, जिसके पीछे सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक कारण जटिल रूप से जुड़े हुए हैं. मणिपुर की भौगोलिक स्थिति, जो भारत के उत्तर-पूर्व में म्यांमार की सीमा से सटी है, इसे उग्रवादी गतिविधियों के लिए संवेदनशील बनाती है. विभिन्न जातीय समूहों जैसे मैतेई, कुकी, और नागा के बीच सांस्कृतिक और क्षेत्रीय मतभेद, साथ ही संसाधनों और राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए प्रतिस्पर्धा, हिंसा को बढ़ावा देती है. इसके अलावा, मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (ST) की मांग को लेकर मैतेई और कुकी समुदायों के बीच 2023 में भड़की हिंसा ने स्थिति को और गंभीर बना दिया. केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय की कमी और स्थानीय समस्याओं के प्रति उदासीनता ने उग्रवादी संगठनों को अपनी जड़ें मजबूत करने का मौका दिया.
क्या तर्क देते हैं उग्रवादी
उग्रवाद को बढ़ावा देने में आर्थिक पिछड़ापन और बेरोजगारी भी महत्वपूर्ण कारक हैं. मणिपुर में बुनियादी ढांचे का अभाव, सीमित औद्योगिक विकास, और युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों की कमी ने कई लोगों को उग्रवादी संगठनों की ओर आकर्षित किया. इसके साथ ही, अवैध हथियारों की तस्करी और मादक पदार्थों का व्यापार, जो म्यांमार सीमा के निकट होने के कारण आसान है, उग्रवादी गतिविधियों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है. केंद्र सरकार ने सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) जैसे कदमों और सैन्य तैनाती के जरिए हिंसा को नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन यह स्थानीय आबादी में असंतोष को और बढ़ाता है. शांति स्थापना के लिए सामुदायिक संवाद, आर्थिक विकास, और समावेशी नीतियों की जरूरत है, ताकि मणिपुर में स्थायी शांति बहाल हो सके.
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