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Protest : बांग्लादेश में रवींद्रनाथ टैगोर के पैतृक आवास पर हमला, विजिटर के लिए कार्यालय बंद

by Live Times
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Attack on Rabindranath Tagore's ancestral house in Bangladesh; office shut for visitors

Bangladesh Protest : बांग्लादेश में रबीन्द्रनाथ टैगोर के पुराने घर पर दंगाइयों ने हमला कर दिया है. इसके बाद से जांच के लिए पुरातत्व विभाग ने 3 सदस्यीय समिति गठित की है.

Bangladesh Protest : बांग्लादेश में रबीन्द्रनाथ टैगोर के पुराने घर पर दंगाइयों ने हमला कर दिया है और उसे तोड़ दिया है. ये उनका वहीं घर है यहां उन्होंने कई प्रसिद्ध रचनाओं को कागज पर उतारा है. इस हमले के बाद से जांच के लिए पुरातत्व विभाग ने 3 सदस्यों वाली समिति गठित की है जिसे 5 दिन में रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है. ये हमले उस समय हुई जब एक विजिटर के साथ पार्किंग शुल्क को लेकर कुछ विवाद हो गया और स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन कर दिया. इसके साथ ही उन्होंने कचहरीबाड़ी के ऑडिटोरियम पर हमला कर दिया.

विजिटर के लिए कार्यालय बंद

इस घटना के बाद से विजिटर की प्रवेश पर रोक लगा दी गई है. पार्किंग शुल्क को लेकर हुए विवाद में एक कर्मचारी के साथ बहस हो गई थी, जिसके बाद से विजिटर को कथित तौर पर एक कार्यालय में बंद कर दिया गया था और उस पर हमला किया गया. इस घटना से नाराज हुए स्थानीय लोगों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया था.

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जांच में जुटे अधिकारी

इस घटना के बाद से पुरातत्व विभाग ने हमले की जांच के लिए 3 सदस्यीय जांच समिति बनाई है. वहीं, कचहरीबाड़ी के संरक्षक मोहम्मद हबीबुर रहमान ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि प्राधिकरण ने अपरिहार्य परिस्थितियों की वजह कचहरीबाड़ी में आगंतुकों के प्रवेश को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया.

कभी कचहरीबाड़ी में सुनाई देती थी रबीन्द्रनाख की संगीत

यहां आपको बता दें कि राजशाही डिवीजन के शहजादपुर में मौजूद कचहरीबाड़ी टैगोर परिवार के बेहद करीब है और उनका पैतृक घर है. कचहरीबाड़ी के इस हवेली में ही रवींद्रनाथ टैगोर ने साहित्य का अंकुरण हुआ. टैगोर ने अपने जीवन का अहम हिस्सा यहां पर बिताया था. वहीं, टैगोर परिवार के पास कचहरीबाड़ी में जमींदारी थी और रबीन्द्रनाथ ने साल 1890 के दशक में यहां रहते हुए अपने पिता की जमींदारी का प्रबंधन किया. इस दौरान उन्होंने कई अहम कविताएं, लघु कथाएं और गीत लिखे. कचहरीबाड़ी में बिताए समय ने उनकी रचनाओं में ग्रामीण बंगाल की संस्कृति, नदियों, और सामाजिक जीवन को चित्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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