GEN-Z Protest in Nepal: जेन-जेड (GEN-Z) समूह ने गुरुवार को कहा कि संसद को भंग किया जाना चाहिए और जनता की इच्छा के अनुरूप संविधान में संशोधन किया जाना चाहिए.
GEN-Z Protest in Nepal: नेपाल में सरकार विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे युवाओं के जेन-जेड (GEN-Z) समूह ने गुरुवार को कहा कि संसद को भंग किया जाना चाहिए और जनता की इच्छा के अनुरूप संविधान में संशोधन किया जाना चाहिए. प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 34 हो गई है. जेन-जेड प्रदर्शनकारियों ने अपने विचार व्यक्त करने के लिए यहां एक प्रेस वार्ता आयोजित की. जबकि उनके कुछ प्रतिनिधि मौजूदा राजनीतिक संकट का समाधान खोजने के लिए सेना मुख्यालय में राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और सेना प्रमुख अशोक राज सिगडेल के साथ चर्चा में व्यस्त थे. इस अवसर पर बोलते हुए जेन-जेड कार्यकर्ताओं ने बातचीत और सहयोग के माध्यम से समाधान खोजने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया. जेन-जेड समूह के प्रतिनिधि दिवाकर दंगल, अमित बनिया और जुनल दंगल भी प्रेस वार्ता में शामिल थे. उन्होंने पुराने राजनीतिक दलों को चेतावनी दी कि वे अपने निहित स्वार्थों के लिए उनका इस्तेमाल न करें.
राजनीतिक दलों को चेतावनी, न करें राजनीति
एक कार्यकर्ता ने कहा कि यह पूरी तरह से एक नागरिक आंदोलन है, इसलिए इसमें राजनीति न करें. दंगल ने कहा कि हमारे सामने राष्ट्रीय संप्रभुता, एकता की रक्षा और आत्म-सम्मान बनाए रखने की चुनौती है. हम सभी नेपालियों को इस कठिन परिस्थिति में नेपाली जनता के कल्याण और हितों की रक्षा के लिए एकजुट होना चाहिए. एक अन्य कार्यकर्ता ने कहा कि संसद को भंग कर देना चाहिए और लोगों की भावना के अनुसार संविधान में संशोधन किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमारा संविधान को रद्द करने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन हम चाहते हैं कि लोगों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए कुछ बड़े संशोधन किए जाएं. कुछ कार्यकर्ताओं ने नए प्रधानमंत्री के पद के लिए पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की का समर्थन किया, जबकि अन्य ने नेपाल विद्युत प्राधिकरण के पूर्व सीईओ कुलमन घीसिंग का समर्थन किया.
अब तक 34 लोगों की मौत
एक अन्य कार्यकर्ता ने कहा कि उनका देश का नेतृत्व संभालने का इरादा नहीं है, बल्कि वे सिर्फ एक प्रहरी बनना चाहते हैं. हम सरकार में भाग नहीं लेंगे, बल्कि हम एक प्रहरी के रूप में बने रहना चाहते हैं. इस बीच, स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि सोमवार और मंगलवार को हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान अब तक 34 लोगों की मौत हो चुकी है. मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश भर के अस्पतालों में 1,338 व्यक्तियों का इलाज चल रहा है, जबकि 949 को पहले ही छुट्टी दे दी गई है. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मंगलवार को सैकड़ों आंदोलनकारियों के कार्यालय में घुसने के तुरंत बाद इस्तीफा दे दिया. आंदोलनकारी भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ सोमवार के विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस कार्रवाई में कम से कम 19 लोगों की मौत के लिए उनके इस्तीफे की मांग कर रहे थे.
ये भी पढ़ेंः नेपाल में हिंसा के बाद उत्तराखंड में अलर्ट! हेल्पलाइन नंबर जारी; सोशल मीडिया पर कड़ी नजर
