Dindoshi Court decision: यह घटना तब की है जब 2013 में 7 साल की छात्रा का अपहरण कर लिया गया था. पुलिस ने 2022 में आरोपी महिला को गिरफ्तार कर लिया.
Dindoshi Court decision: मुंबई की एक अदालत ने 2013 में एक नाबालिग लड़की के अपहरण के आरोप में गिरफ्तार एक महिला को जमानत दे दी. जमानत देते हुए कोर्ट ने कहा कि 7 साल के बच्चे को अभिभावक के स्नेह से वंचित नहीं किया जाना चाहिए. आरोपी सात साल की एक लड़की की मां है. घटना साल 2013 की है, जब घर से स्कूल पढ़ने गई 7 साल की छात्रा का अपहरण कर लिया गया था. घटना के 9 साल बाद पुलिस ने 2022 में आरोपी महिला और उसके पति को गिरफ्तार कर लिया. मां की गिरफ्तारी के बाद से ही उसकी बच्ची मुंबई के अंधेरी इलाके में एक बाल गृह में रह रही थी. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एस एम ताकालिकर (डिंडोशी कोर्ट) ने पिछले हफ्ते महिला को जमानत देते हुए कहा कि आरोपी की बच्ची पिछले तीन सालों से अपने माता-पिता से नहीं मिली है. अदालत ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि वह बाल भवन में भर्ती है, जो उसकी देखभाल कर रहा है और उसे सुरक्षा प्रदान कर रहा है. अदालत ने कहा कि सात साल की बच्ची को उसके प्राकृतिक अभिभावक के स्नेह से वंचित नहीं किया जा सकता. अदालत ने इस बात को ध्यान में रखा कि आरोपी बच्ची के “साथ से वंचित” है क्योंकि वह पिछले तीन साल से बिना किसी सुनवाई के सलाखों के पीछे है.
महिला पर बच्ची के अपहरण का आरोप
अभियोजन पक्ष के अनुसार, बेटी स्कूल पढ़ने गई थी. छुट्टी के बाद जब उसकी 7 साल की बेटी स्कूल से घर नहीं लौटी थी, तब छात्रा की मां ने 22 जनवरी, 2013 को मुंबई के डीएन नगर पुलिस स्टेशन में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. एक पड़ोसी को एक महिला का वीडियो कॉल आया, जिसमें लापता बच्ची जैसी दिखने वाली एक लड़की दिखाई दी. पुलिस ने कहा कि पड़ोसी ने लड़की की पहचान की. इसके बाद मां उस स्थान पर पहुंची जहां उसकी बेटी मिली थी. अपनी आपबीती सुनाते हुए बच्ची ने अपने बयान में आरोप लगाया कि 2013 में दोनों आरोपी उसे आइसक्रीम का वादा करके ले गए थे. वे उसे गोवा ले गए और वहां कई महीनों तक रखा. बच्ची ने दावा किया कि इसके बाद वे मुंबई के विले पार्ले आए, एक मकान किराए पर लिया और चार महीने तक वहां रहे. इसके बाद उसे वापस गोवा ले गए. बच्ची ने दावा किया कि 2015 में वे मुंबई आ गए और तब से यहीं रह रहे हैं. इस दौरान उन्होंने उसे एक घर में कैद कर रखा और घर का सारा काम करने के लिए मजबूर किया.
बच्ची का आरोप- घर में कैद कर किया प्रताड़ित
बच्ची ने आरोप लगाया कि उन्होंने उसे बच्चों की देखभाल करने के लिए भी मजबूर किया और उसकी कमाई भी वसूली. उसने यह भी दावा किया कि आरोपियों ने उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया. आरोपी महिला के वकील नितिन हजारे (कानूनी सहायता एनजीओ दर्द से हमदर्द तक) ने तर्क दिया कि आरोप पत्र 2022 में दायर किया गया था और आरोप 24 जनवरी, 2024 को तय किए गए थे, लेकिन तब से किसी गवाह से पूछताछ नहीं की गई है. वकील ने बताया कि आरोपी महिला की बेटी तीन साल से एक अनाथालय में है और उसे अपनी मां की देखभाल की जरूरत है. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि आरोपी 5 अगस्त, 2022 को गिरफ्तारी के बाद से तीन साल से हिरासत में है. इन सभी पहलुओं पर विचार करते हुए अदालत ने कहा कि उसे ज़मानत देना “उचित और उचित” है.
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