Home Top News अगर आप सच्चे भारतीय हैं तो… आखिर क्यों सुप्रीम कोर्ट ने नेता विपक्ष राहुल गांधी को फटकारा?

अगर आप सच्चे भारतीय हैं तो… आखिर क्यों सुप्रीम कोर्ट ने नेता विपक्ष राहुल गांधी को फटकारा?

by Sanjay Kumar Srivastava
0 comment
Supreme Court

न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि विपक्ष के एक जिम्मेदार नेता होने के नाते गांधी को ऐसा नहीं करना चाहिए था क्योंकि ऐसे सवाल उठाने के लिए एक उचित मंच मौजूद है.

New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि अगर आप सच्चे भारतीय हैं तो ऐसा कुछ नहीं कहेंगे. कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को उनकी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारतीय सेना के बारे में कथित अपमानजनक टिप्पणी के लिए फटकार लगाई. हालांकि, शीर्ष अदालत ने लखनऊ की एक अदालत में गांधी के खिलाफ मामले में शुरू की गई कार्रवाई पर रोक लगा दी है. न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने मामले में उत्तर प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया. पीठ ने पूछा कि आप विपक्ष के नेता हैं. आप संसद में बातें क्यों नहीं कहते, आपको सोशल मीडिया पर क्यों कहना पड़ता है?” शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि आपको कैसे पता चला कि 2,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर चीनियों ने कब्ज़ा कर लिया है? क्या आप वहां थे? क्या आपके पास कोई विश्वसनीय सामग्री है?”

सवाल उठाने के लिए एक उचित मंच मौजूदः कोर्ट

पीठ ने आगे पूछा कि बिना किसी सबूत के आप ये बयान क्यों दे रहे हैं? अगर आप सच्चे भारतीय हैं, तो आप ऐसा नहीं कहेंगे. नेता विपक्ष राहुल गांधी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क पेश किया. उन्होंने कहा कि अगर लोकतांत्रिक देश में विपक्ष के नेता मुद्दे नहीं उठा सकते, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति होगी. सिंघवी ने कहा कि अगर वह प्रेस में छपी ये बातें नहीं कह सकते, तो वह विपक्ष के नेता नहीं हो सकते. पीठ की ‘सच्चे भारतीय’ वाली टिप्पणी पर सिंघवी ने जवाब दिया कि यह भी संभव है कि एक सच्चा भारतीय कहे कि हमारे 20 भारतीय सैनिकों को पीटा गया और मार डाला गया. यह भी चिंता का विषय है. शीर्ष अदालत ने तब कहा कि जब सीमा पार संघर्ष होता है, तो क्या दोनों पक्षों में हताहत होना असामान्य है? सिंघवी ने कहा कि गांधी केवल उचित खुलासे और सूचना के दमन पर चिंता जताने की बात कर रहे थे. न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि विपक्ष के एक जिम्मेदार नेता होने के नाते गांधी को ऐसा नहीं करना चाहिए था क्योंकि ऐसे सवाल उठाने के लिए एक उचित मंच मौजूद है. इस बात से सहमत होते हुए कि गांधी बेहतर तरीके से टिप्पणी कर सकते थे.

सेना पर अपमानजनक टिप्पणी का आरोप

सिंघवी ने कहा कि शिकायत याचिकाकर्ता को परेशान करने का प्रयास मात्र था. सिंघवी ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 223 का हवाला दिया और कहा कि अदालत द्वारा आपराधिक शिकायत का संज्ञान लेने से पहले आरोपी की पूर्व सुनवाई अनिवार्य है, जो वर्तमान मामले में नहीं किया गया. इसके बाद शीर्ष अदालत ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुए तीन सप्ताह में जवाब मांगा और लखनऊ ट्रायल कोर्ट में कार्रवाई पर रोक लगा दी. राहुल गांधी की याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 29 मई को खारिज कर दिया. गांधी ने समन आदेश और शिकायत को चुनौती देते हुए तर्क दिया कि यह प्रेरित था और दुर्भावनापूर्ण तरीके से दर्ज किया गया था. अदालत में दायर अपनी याचिका में शिकायतकर्ता उदय शंकर श्रीवास्तव ने आरोप लगाया कि दिसंबर 2022 की यात्रा के दौरान गांधी ने चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष के संदर्भ में भारतीय सेना के बारे में कई अपमानजनक टिप्पणियां कीं. अधिवक्ता प्रांशु अग्रवाल ने तर्क दिया था कि राहुल गांधी पर लगाए गए आरोप मनगढ़ंत हैं. यह भी तर्क दिया गया था कि गांधी लखनऊ के निवासी नहीं हैं, इसलिए उन्हें इस शिकायत पर तलब करने से पहले अधीनस्थ न्यायालय को आरोपों की सत्यता की जांच करनी चाहिए थी और उन्हें तभी तलब किया जाना चाहिए था जब आरोप प्रथम दृष्टया परीक्षण के लिए उपयुक्त पाए जाते.

ये भी पढ़ेंः पहलगाम हमले की सुरक्षा एजेंसी ने जुटाए सबूत, PAK की तरफ कर रहे इशारा; जानें क्या-क्या मिला?

You may also like

LT logo

Feature Posts

Newsletter

@2025 Live Time. All Rights Reserved.

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?