जामा मस्जिद के शाही इमाम ने मुस्लिम समुदाय से खुले में कुर्बानी नहीं करने की अपील करते हुए ये भी कहा कि साफ-सफाई और दूसरों की भावनाओं का भी पूरा ख्याल रखा जाए.
Bakrid: बकरीद से पहले दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम ने मुस्लिम समुदाय के लोगों से एक अपील की है. जामा मस्जिद के शाही इमाम ने बुधवार को मुस्लिम समुदाय से खुले इलाकों या सड़कों पर जानवरों की कुर्बानी न करने की अपील की. नायब शाही इमाम सैयद शाबान बुखारी ने इस संबंध में एक बयान भी जारी किया. बयान में कहा गया कि मुस्लिम समुदाय के लोग त्योहार के दौरान अपने इलाकों में साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें और गंदगी ना फैलाएं. इमाम सैयद शाबान बुखारी ने कहा, “देश में जैसे होली और दिवाली का त्योहार सम्मान के साथ मनाया जाता है, उसी तरह ईद-उल-अजहा भी पूरे सम्मान और श्रद्धा के साथ मनाया जाना चाहिए.”
‘इन जिम्मेदारियों का रखें ध्यान’
जामा मस्जिद के शाही इमाम ने जोर दिया कि बकरीद का त्योहार मनाने के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोगों को कुछ जिम्मेदारियों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा, “सबसे अहम है कि किसी भी काम से साथ में रहने वाले नागरिकों की भावनाओं या उनकी आस्थाओं को ठेस न पहुंचे. कुर्बानी किसी भी स्थिति में सड़कों या खुले स्थानों पर न हो बल्कि इसे सिर्फ प्राइवेट प्रेमेसिस (घरों या बाड़ों) में ही किया जाए. कुर्बानी के दौरान फोटो खींचने या वीडियो बनाने से भी बचें और ऐसी संवेदनशील तस्वीरों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पोस्ट ना करें.”
‘किसी की भावना को ठेस ना पहुंचाएं’
शाही इमाम ने लोगों से अपील करते हुए कहा, “इस्लाम शांति का धर्म है और हम अपने आचरण के माध्यम से यह प्रदर्शित करना चाहिए कि किसी की भावनाओं को ठेस ना पहुंचे. इस्लाम सभी धर्मों के प्रति सम्मान सिखाता है और अपने अनुयायियों को दूसरों की भावनाओं को कभी ठेस न पहुँचाने का निर्देश देता है. कुर्बानी की रस्म को इस तरह से किया जाना चाहिए जिससे कानून का शासन बना रहे और सांप्रदायिक सद्भाव बना रहे.” बता दें कि ईद की रौनक अब बाजारों में भी दिखने लगी है. यहां ये जानना भी बेहद जरूरी है कि बकरीद के मौके पर अक्सर विवाद की स्थिति बनी रहती है. कुछ लोग मानते हैं कि बेजुबान जानवरों की कुर्बानी नहीं की जानी चाहिए. तनाव की स्थिति के बीच प्रशासन भी पूरी मुस्तैदी बरतता है. सोशल मीडिया पर भी बकरीद के मौके पर यूजर्स कई पोस्ट के जरिए अपना मैसेज देते हैं कि जानवरों की कुर्बानी पर्यावरण के भी प्रतिकूल है. बकरीद के मौके पर कई बार हिंसा और तनाव की स्थिति भी देखने को मिलती रही है.
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