Home Top News कांवड़ मार्गों पर स्थित होटलों में QR कोड लगाने का मामला गरमाया, SC में दायर की याचिका

कांवड़ मार्गों पर स्थित होटलों में QR कोड लगाने का मामला गरमाया, SC में दायर की याचिका

by Sachin Kumar
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Kanwar Yatra 2025 : उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा एक बार फिर सुर्खियों में आ गई है. एक याचिकाकर्ता ने यूपी सरकार के उस फैसले के खिलाफ याचिका दायर कर दी है जिसमें निर्देश दिया गया था कि QR कोड लगाना अनिवार्य है.

Kanwar Yatra 2025 : उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्गों पर स्थित होटलों पर QR लगाने का निर्देश दिया गया था, जिसको अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दायर करके चुनौती दी गई है. बताया जा रहा है कि इन QR के माध्यम से दुकान के मालिकों के नाम और पहचान का पता चलता है. प्रोफेसर अपूर्वानंद झा (Professor Apoorvanand Jha) की तरफ से यूपी सरकार के खिलाफ दायर की याचिका पर न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ सुनवाई करेगी. बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल BJP शासित राज्य उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश द्वारा जारी इस तरह के निर्देशों पर रोक लगा दी थी.

पहचान दिखाने पर होगा भेदभावपूर्ण रवैया

पिछले साल यूपी, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को अपने मालिकों, कर्मचारियों और अन्य विवरणों के नाम प्रदर्शित करने के लिए कहा गया था. यूपी सरकार की तरफ से जारी एक प्रेस रिलीज का हवाला देते हुए प्रोपेसर अपूर्वानंद ने कहा कि नए उपायों के तहत कावंड़ मार्ग पर स्थित सभी भोजनालयों पर QR कोड लगाना अनिवार्य है, जिसकी वजह से मालिक के नाम और पहचान का पता चलता है और इससे भेदभावपूर्ण रवैया किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि इस तरह के फैसलों पर कोर्ट ने पहले ही रोक लगा रखी है. याचिका में कहा गया कि यूपी सरकार द्वारा जारी निर्देश में कानूनी लाइसेंस आवश्यकताओं को स्टॉल मालिकों के तहत धार्मिक और जातिगत बताने के लिए कहा गया है.

निजता का किया जाएगा उल्लंघन

प्रोफेसर साहब ने कहा कि अगर यह नियम प्रभावी रूप से लागू किया जाता है तो यह रेस्तरां वालों की निजता के अधिकार का उल्लंघन है. आपको बताते चलें कि हिंदू कैलेंडर के श्रावण माह में शिवलिंगों का जलाभिषेक करने के लिए बड़ी संख्या में भक्त गंगा से पवित्र जल से लेकर विभिन्न स्थानों से कांवड़ लेकर आते हैं. साथ ही श्रद्धालु इस दौरान मांसाहार का त्याग करते हैं और कई लोग प्याज-लहसुन युक्त भोजन भी नहीं खाते हैं. इसके अलावा याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि जबरदस्ती करने वाला राज्य में एक पैटर्न चल रहा है, जिसमें जमकर उनको परेशान किया जा रहा है. जैसे कि अपनी पैंट उतारने के लिए कहा जाता है और आधार कार्ड तक जांच करने के लिए तक कहा जाता है.

यह भी पढ़ें- वेलकम में 4 मंजिला इमारत गिरने के बाद पुलिस का एक्शन, FIR की दर्ज; लोगों ने बताई आपबीती

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