PM on Vande Matram: पीएम मोदी ने लोकसभा में वंदे मातरम पर चर्चा के दौरान कहा ‘यह गर्व की बात है कि हम वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर इस ऐतिहासिक मौके के साक्षी बन रहे हैं.’
8 December, 2025
PM on Vande Matram: भारत के राष्ट्र गीत ‘वंदे मातरम’ को 150 साल पूरे हो गए हैं. इस खास मौके पर संसद में वंदे मातरम पर चर्चा हो रही है, जिसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है. PM मोदी ने कहा, “यह हमारा सौभाग्य है कि हम वंदे मातरम को याद कर रहे हैं, वह मंत्र, वह नारा जिसने देश के स्वतंत्रता आंदोलन को ऊर्जा और प्रेरणा दी और त्याग और तपस्या का रास्ता दिखाया. यह गर्व की बात है कि हम वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर इस ऐतिहासिक मौके के साक्षी बन रहे हैं.”
‘100 साल होने पर संविधान का गला घोंट दिया गया‘
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “जब वंदे मातरम ने अपनी 100वीं सालगिरह पूरी की, तो देश इमरजेंसी की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था. भारतीय संविधान का गला घोंटा गया था. जब वंदे मातरम ने अपनी 100वीं सालगिरह पूरी की, तो देशभक्ति के लिए जीने और मरने वालों को जेल में डाल दिया गया. तब एक काला कालखंड उजागर हुआ.” प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “यह गर्व की बात है कि हम वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर इस ऐतिहासिक मौके के गवाह बन रहे हैं. एक ऐसा दौर जो इतिहास की अनगिनत घटनाओं को हमारे सामने लाता है. यह चर्चा न केवल सदन के प्रतिबद्धता को दिखाएगी बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए शिक्षा का जरिया भी बन सकती है.
‘जब अंग्रेजों ने वंदे मातरम पर लगाया प्रतिबंध‘
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, बंकिम बाबू का ये खास सूत्र अंग्रेजो के खिलास तैयार किया था. अंग्रेजों की कमजोरी देखिए, उन्होंने वंदे मातरम पर प्रतिबंध लगा दिया. उन्होंने गाने पर सजा, छापने पर सजा और यहां तक की वंदे मातरम कहने तक पर सजा देना शुरू कर दिया. पीएम ने बारिसाल की महिलाओं का जिक्र करते हुए कहा- अंग्रेजों ने बारिसाल के लोगों पर वंदे मातरम गाने के लिए बहुत जुल्म किए. बारिसाल की एक वीरांगना श्रीमती सरोजिनी बोस ने उस जमाने में कहा था कि जब तक यह प्रतिबंध नहीं हटता है, मैं अपनी चूड़ियां नहीं पहनूंगी. उन्होंने इतना बड़ा संकल्प लिया कि सोने की चूड़िया निकाल दीं.
‘नेहरू भी वंदे मातरम के खिलाफ थे’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “जिन्ना ने 1937 में वंदे मातरम का विरोध किया था. जवाहरलाल नेहरू को अपनी गद्दी खतरे में दिखी. मुस्लिम लीग के बेबुनियाद बयानों का कड़ा जवाब देने के बजाय, उन्होंने वंदे मातरम की ही जांच शुरू कर दी. जिन्ना के विरोध के ठीक पांच दिन बाद, 20 अक्टूबर को नेहरू ने नेताजी को एक चिट्ठी लिखी. चिट्ठी में नेहरू जिन्ना की भावनाओं से सहमत दिखे.”
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