The Mystery of Seat 11A: 27 साल के अंतराल पर दो अलग-अलग देशों में विमान हादसे, दोनों में एक ही व्यक्ति जिंदा बचे, जो बैठे थे सीट 11A पर. सीट 11A अब सिर्फ एक नंबर नहीं, एक रहस्य बन चुकी है. कहीं यह नंबर किस्मत की चाभी तो नहीं? या फिर विज्ञान से परे कोई ताकत है जो कुछ खास को बचा लेती है?
The Mystery of Seat 11A: कभी आपने सोचा है कि किसी विमान की कौन सी सीट सबसे सुरक्षित हो सकती है? शायद कोई नहीं जानता. लेकिन एक ऐसा नंबर है, जिसने दो बार मौत को मात दी. एक बार 1998 में थाईलैंड में… और फिर 2025 में भारत में. दोनों बार विमान हादसा हुआ और दोनों बार बचा केवल एक ही शख्स, दोनों की सीट एक जैसी-11A.
क्या यह केवल एक अजीब संयोग है… या कोई अलौकिक इशारा? आइए उठाते हैं इस रहस्य से पर्दा.
पहला अध्याय: 1998, (थाईलैंड) मौत के मुंह से लौटे जेम्स लोयचुसाक

बात 19 दिसंबर 1998 की है. थाई एयरवेज की फ्लाइट TG261 ने बैंकॉक के डॉन मुआंग इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उड़ान भरी सूरत थानी के लिए जिसमें 146 लोग सवार थे. लेकिन लैंडिंग से पहले ही सुरथ थानी एयरपोर्ट के पास विमान क्रैश हो गया और उसमें 101 लोगों की मौत हो गई. चारों ओर लाशें बिखरी पड़ी थीं, लेकिन… इस हादसे में अब भी एक चेहरा जिंदा था, थाई सिंगर और एक्टर जेम्स लोयचुसाक. उस वक्त इस भयानक हादसे के बाद भी बचना अपने आप में एक चौंकाने वाली बात तो थी ही लेकिन अब एक और किस्सा इस से जुड़ता नजर आ रहा है. सीट नंबर 11A, जेम्स लोयचुसाक थाई एयरवेज की फ्लाइट TG261 में सीट नंबर 11A बैठे थे. जब हर तरफ लाशें दिखाई दे रही थी तो सिर्फ जेम्स लोयचुसाक ही मौत के मुंह से लौटे थे. वो हादसा आज भी थाईलैंड के इतिहास में सबसे भयानक क्रैश में गिना जाता है. लेकिन इस एक सीट ने जेम्स की जान बचाई, कैसे? क्यों? कोई नहीं जानता.
दूसरा अध्याय: 2025, (भारत) एक और हादसा, फिर वही सीट, फिर वही चमत्कार

बात जनवरी 2025 की है. एयर इंडिया फ्लाइट AI-171, अहमदाबाद से लंदन गेटविक जा रही थी. टेकऑफ के महज 33 सेकंड बाद विमान एक मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल से टकराकर धधकती आग में बदल गया. इसमें 241 यात्रियों की मौत. लेकिन सिर्फ एक शख्स जिंदा निकला, विश्वास कुमार रमेश और वो बैठे थे… फिर से उसी सीट नंबर पर 11A.
रहस्य गहराता है: जब जेम्स ने देखा अपने जैसा ही एक और बचाव
जेम्स लोयचुसाक को जैसे ही पता चला कि भारत में हुए हादसे में भी 11A सीट वाला यात्री ही बचा, तो उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा “Survivor of a plane crash in India. He sat in the same seat as me. 11A.”
27 साल पहले जो सीट उनकी ढाल बनी, वही अब किसी और की जान बचा गई. यह सिर्फ इत्तेफाक है… या कुछ और?
विश्वास की आपबीती: “मैं लाशों के बीच खड़ा था”
अहमदाबाद हादसे में बचे इकलौते शख्स विश्वास कुमार रमेश बताते हैं की ‘एक तेज धमाका हुआ, और सबकुछ अंधेरा हो गया. जब होश आया, तो चारों तरफ जली हुई लाशें थीं. मैंने खुद को देखा, तो चौंक गया… मैं जिंदा था. मैंने दौड़ना शुरू किया, फिर किसी ने मुझे खींचा और एंबुलेंस तक ले गया.”
उनके बड़े भाई अजय कुमार रमेश उसी फ्लाइट में थे, लेकिन किसी और सीट पर बैठे थे और वो भी उस हादसे में खत्म हो गए.
सीट 11A; महज एक सीट या कुछ ज्यादा?
किसी फिल्म की स्क्रिप्ट जैसी लगने वाली यह कहानी अब हकीकत है.दो विमान हादसे,दो देशों में, दो अलग-अलग दशक सैकड़ों मौतें और दो चमत्कारी जिंदगियां, दोनों बार एक ही सीट नंबर 11A. क्या यह सिर्फ संयोग है? या वाकई कुछ सीटें होती हैं जो किस्मत लिखती हैं?
इस कहानी ने दुनियाभर में एक सवाल खड़ा कर दिया है, अगर आप अगली बार उड़ान भरें और आपको मिल जाए सीट 11A, तो क्या आप उसे छोड़ेंगे?
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