Unkown Fact About Atal Bihar Vajpayee: अटल बिहारी वाजपेयी केवल एक प्रधानमंत्री नहीं बल्कि भारत के इतिहास में अमर अध्याय हैं. उनकी दूरदृष्टि और विचारों ने राष्ट्र की दिशा तय की.
भारत की राजनीति में कुछ नेता ऐसे हुए हैं जिन्होंने अपने व्यक्तित्व, विचारों और दूरदृष्टि से न केवल एक युग को प्रभावित किया बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी राह तय कर दी. अटल बिहारी वाजपेयी उन्हीं में से एक थे. कवि, वक्ता, दूरदर्शी राजनेता और सबसे बढ़कर ‘अजातशत्रु’ नेता, जिनके विरोधी भी उनका सम्मान करते थे.
अटल जी का सपना और आज का भारत
अटल जी ने जिस भारत का सपना देखा था, आज उसका आकार साफ दिखाई देता है. अनुच्छेद 370 का अंत, राम मंदिर का भव्य निर्माण, यह वही बीज हैं जो अटल जी ने दशकों पहले बोए थे. आज हिंदुस्तान उनकी उस छांव में खड़ा है जहां आत्मगौरव और सांस्कृतिक पहचान पहले से कहीं मजबूत है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी पुण्यतिथि पर नमन करते हुए कहा, “अटल जी का जीवन भारत के लिए प्रेरणा है.”
अटल जी के अनसुने पहलू
सिर्फ 13 दिन का प्रधानमंत्री कार्यकाल
1996 में अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार प्रधानमंत्री बने, लेकिन बहुमत न होने की वजह से उनकी सरकार सिर्फ 13 दिन ही चल सकी. संसद में दिया गया उनका इस्तीफे वाला भाषण लोकतांत्रिक मूल्यों की सबसे बड़ी मिसाल माना जाता है.
पोखरण का साहसिक फैसला
1998 में अटल सरकार ने पोखरण में परमाणु परीक्षण कर दुनिया को दिखा दिया कि भारत आत्मनिर्भर और ताकतवर है. तमाम अंतरराष्ट्रीय दबावों के बावजूद उन्होंने राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखा.
विरोधियों का भी सम्मान
अटल जी की राजनीति की सबसे बड़ी खूबी थी कि उनके विरोधी भी उन्हें व्यक्तिगत रूप से सम्मान देते थे. उनकी सादगी और सहजता ने हर राजनीतिक दल के नेताओं को उनका मुरीद बना दिया.
कवि और वक्ता
अटल जी सिर्फ राजनेता नहीं थे, बल्कि संवेदनशील कवि भी थे. उनके भाषणों की गूंज और कविताओं की गहराई ने उन्हें करोड़ों दिलों में अमर कर दिया.
दोस्ती और दुश्मनी दोनों निभाने वाले नेता
उन्होंने पाकिस्तान से रिश्तों को सुधारने के लिए बस यात्रा की शुरुआत की, वहीं कारगिल युद्ध में दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब भी दिया. उनकी कूटनीति का यह संतुलन उन्हें अलग बनाता है.
अटल बिहारी वाजपेयी केवल एक प्रधानमंत्री नहीं बल्कि भारत के इतिहास में अमर अध्याय हैं. उनकी दूरदृष्टि और विचारों ने राष्ट्र की दिशा तय की. आज जब हम अनुच्छेद 370 के अंत और राम मंदिर के भव्य निर्माण को देखते हैं, तो यह साफ हो जाता है कि वह बीज जो अटल जी ने बोया था, उसका फल आज की पीढ़ी को मिला है.
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