पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा पर एसआईटी की रिपोर्ट सामने आने के बाद ही बीजेपी ने ममता सरकार पर निशना साधा है.
SIT Report on Murshidabad Violence: वक्फ संशोधन कानून के मुद्दे पर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा पर अब एसआईटी की रिपोर्ट सामने आ गई है. इस रिपोर्ट के मुद्दे पर ही भारतीय जनता पार्टी के नेता पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और टीएमसी पर हमलावर है. बता दें कि इस हिंसा के बाद ही देश में हिंदू-मुस्लिम की बहस शुरू हो गई थी. कई राजनीतिक दल लगातार इस हिंसा का विरोध करते हुए कह रहे थे कि बंगाल में जानबूझकर हिदुओं को निशाना बनाने दिया गया. हालांकि, सीएम ममता बनर्जी लगातार कह रही थीं कि इस हिंसा के लिए बाहरी लोग जिम्मेदार हैं.

क्या बोले सुधांशु त्रिवेदी?
बीजेपी नेता सुधांशू त्रिवेदी ने कहा, “आज न्यायालय द्वारा गठित SIT की रिपोर्ट आने के बाद पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार की हिंदू विरोधी निर्ममता अपने पूरे विद्रूप रूप में सामने आती हुई दिखाई दे रही है. इस एसआईटी का गठन न्यायालय के आदेश पर हुआ था जिसमें तीन सदस्य थे. इन सदस्यों में एक नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन के लॉ रजिस्ट्रार थे और दो अन्य सदस्य पश्चिम बंगाल न्यायिक सेना के थे. इन्होंने 11 अप्रैल 2025 को जुमे के दिन जो घटनाएं हुई हैं, उनके बारे में अपना ऑब्जर्वेशन दिया है उससे तृणमूल कांग्रेस, इंडिया गठबंधन और सेक्यूलरिज्म के तथाकथित चैंपियंस का नाकाब पूरी तरह से उतर गया है. ये बात बहुत दुख देने वाली है जो लोग ये कहते थे कि पाकिस्तान से युद्ध करने की क्या जरुरत है सिर्फ आतंकियों पर ही कार्रवाई हो. वैसे हमारी सरकार ने आतंकियों पर ही कार्रवाई की है. किसी भी मुद्दे पर अगर आपको आपत्ति है तो पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंदुओं से हिंसा करने की क्या जरुरत है ये किसी ने भी नहीं बोला. वही लोग ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के प्रति सहानुभूति दिखाने लगे. तृणमूल कांग्रेस ने ये भ्रम पैदा करने की कोशिश की थी कि इस हिंसा में बाहर के लोग शामिल थे. टीएमसी के कुछ सांसदों ने मुर्शिदाबाद हिंसा के लिए दूसरे लोगों का नाम लिया था. यूपी-बिहार के लोगों का नाम लिया गया जो सरासर गलत है. फाइंडिंग में बहुत साफ-साफ तौर पर तृणमूल कांग्रेस के नेता और एमएलए का नाम भी सामने आया है. लोकल काउंसिलर महबूब आलम का नाम सामने आया है.”
अमित मालवीय ने किया ये पोस्ट
बीजेेपी आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने भी इस मुद्दे पर पोस्ट किया. अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”ये आरोप पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी पर अब तक का सबसे निंदनीय आरोप हो सकता है. मुर्शिदाबाद दंगों पर रिपोर्ट में सीधे तौर पर उनकी पार्टी और स्थानीय पार्षद और विधायक सहित उसके निर्वाचित प्रतिनिधियों को हिंसा को बढ़ावा देने और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कुछ नहीं करने का दोषी ठहराया गया है. उनके द्वारा किए गए कामों और चूक ने पुलिस और नागरिक प्रशासन को हिंदुओं के घरों को जलाए जाने के दौरान निष्क्रिय रहने के लिए प्रोत्साहित किया. इस रिपोर्ट को और भी महत्वपूर्ण बनाने वाली बात इसका स्रोत है. यह ममता बनर्जी के बार-बार दोहराए जाने वाले दावे को पूरी तरह से ध्वस्त कर देता है कि “बाहरी लोग” जिम्मेदार थे. असली सच्चाई यह है कि मुर्शिदाबाद दंगों को टीएमसी ने इस संवेदनशील सीमावर्ती जिले में हिंदुओं की संख्या को कम करने के लिए अंजाम दिया था. ममता बनर्जी की राजनीति पश्चिम बंगाल के निर्माण के पीछे की मूल भावना का उल्लंघन करती है – बंगाली हिंदुओं के लिए एक मातृभूमि है न कि वोट बैंक की हिंसा का खेल का मैदान.”
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