22 साल बाद चुनाव आयोग बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) कर रहा है ताकि मतदाता सूची से अपात्र लोगों को बाहर किया जा सके. सभी पात्र नागरिक सूची में शामिल हो सकें.
New Delhi: लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने बुधवार को बिहार में मतदाता सूची संशोधन के मुद्दे पर विपक्ष के दोहरे मापदंड की आलोचना की. उन्होंने सवाल किया कि वे उसी प्रक्रिया पर कैसे आपत्ति कर सकते हैं जिसकी उन्होंने पहले मांग की थी. जद(यू) के राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा ने इस प्रक्रिया की वकालत करते हुए कहा कि फर्जी मतदान को रोकने के लिए चुनाव आयोग (ईसी) का अभियान जरूरी था. 22 साल बाद चुनाव आयोग बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) कर रहा है ताकि मतदाता सूची से अपात्र लोगों को बाहर किया जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी पात्र नागरिक सूची में शामिल हों. चुनाव निकाय के अनुसार इससे उन मतदाताओं की डुप्लिकेट प्रविष्टियों को हटाने में भी मदद मिलेगी जिन्होंने कई स्थानों पर अपना नामांकन कराया है.
चिराग ने किया SIR का समर्थन
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री पासवान ने संसद परिसर के अंदर पीटीआई वीडियोज को बताया कि यह मेरी समझ से परे है कि जब कोई समस्या होती है तो आप शिकायत करते हैं और समाधान पर भी सवाल उठाते हैं. उन्होंने याद दिलाया कि विपक्ष ने पहले भी मतदाता सूची में विसंगतियों पर चिंता जताई थी, खासकर लोकसभा चुनावों के बाद और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के दौरान. उन्होंने कहा कि आपने कहा कि महाराष्ट्र में मतदाताओं के नाम रातोंरात जोड़ दिए गए. बिहार में चुनाव आयोग की चल रही एसआईआर का समर्थन करते हुए पासवान ने स्पष्ट किया कि इसी प्रक्रिया का उपयोग करके पहले चार बार ऐसी प्रक्रिया अपनाई जा चुकी है. उन्होंने कहा कि केवल अंतर यह है कि अब यह अधिक सुविधाजनक हो गया है. दस्तावेजों को भौतिक रूप से जमा करने के बजाय यह सब ऑनलाइन किया जा सकता है. यदि आवश्यक हो तो आप तीन बार अपील कर सकते हैं.
चुनावी नतीजों से डर गया है विपक्ष
पासवान ने इस बात पर भी जोर दिया कि किसी भी वैध मतदाता को गलत तरीके से बाहर नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि देश के नागरिक को किसी भी अन्याय का सामना नहीं करना पड़ेगा. लेकिन एक घुसपैठिए को भी कोई नाजायज अधिकार नहीं दिया जाएगा. जद(यू) के कार्यकारी अध्यक्ष झा ने पीटीआई वीडियोज को बताया कि विपक्ष का विरोध चुनावी नतीजों के डर से उपजा है. झा ने कहा कि वे जानते हैं कि बिहार में परिणाम क्या होंगे. जैसे उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले संविधान पर सवाल उठाया था, वैसे ही अब उन्हें एक और बहाना मिल गया है. उन्होंने बिहार में एसआईआर की आवश्यकता की ओर इशारा किया. उन्होंने कहा कि यदि किसी की मृत्यु हो गई है तो क्या वह वोट दे सकता है? अगर किसी का नाम दो जगहों पर सूचीबद्ध है, तो क्या वह दो बार वोट दे सकता है? यही कारण है कि यह प्रक्रिया जरूरी है. सांसद ने चुनाव आयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 98 प्रतिशत मतदाता पहले ही अपने आवेदन जमा कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि किसी भी वास्तविक मतदाता को बाहर नहीं रखा जाएगा.
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