प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिटेन और मालदीव की यात्रा के मुद्दे पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने निशाना साधा है. उन्होंने एक्स पोस्ट में कई मुद्दों का जिक्र किया.
Jairam Ramesh Slams PM Modi: कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एकबार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्रा पर निशाना साधा है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करके जयराम रमेश ने पीएम मोदी की हालिया ब्रिटेन और मालदीव की यात्रा का जिक्र किया. बता दें कि इससे पहले किए गए पीएम मोदी के सबसे लंबे डिप्लोमेटिक टूर पर निशाना साधा था.
क्या बोले जयराम रमेश?
जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा, “सुपर प्रीमियम फ्रीक्वेंट फ्लायर आज एक बार फिर विदेश के लिए रवाना हो गए -इस बार वे ब्रिटेन और मालदीव की यात्रा पर गए हैं. उनकी लंदन यात्रा का उद्देश्य भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर करना है. यह समझौता वास्तव में कई हितधारकों के लिए घातक सिद्ध होगा. सबसे गंभीर असर उन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) पर पड़ेगा, जो भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, साथ ही देश में रोज़गार देने का सबसे बड़ा स्रोत भी. इन उद्यमों को पिछले 11 वर्षों में मोदी सरकार की कुछ चुनिंदा कॉरपोरेट घरानों को प्राथमिकता देने वाली नीतियों के कारण लगातार उपेक्षा और संकट का सामना करना पड़ा है. ऑटोमोबाइल उद्योग और दवा क्षेत्र पर भी इसी तरह नकारात्मक असर पड़ेगा. दिल्ली स्थित प्रमुख थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने इस समझौते को लेकर जो मुख्य मुद्दे उठाए हैं, वे इस प्रकार हैं:
- यह FTA ब्रिटिश कंपनियों को केंद्र सरकार की कम संवेदनशील संस्थाओं द्वारा की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की खरीद प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति देता है. इससे ब्रिटेन की कंपनियों के लिए लगभग 600 बिलियन डॉलर का एक विशाल बाजार खुल जाएगा. यह सरकार की नीति में बड़ा बदलाव है. अब तक भारत ने अपने सरकारी खरीद तंत्र को व्यापार समझौतों से बाहर रखा था. यह स्थानीय उद्योगों को संरक्षण और प्रोत्साहन देने वाली भारत की गिनी-चुनी औद्योगिक नीतियों में से एक था – जो अब खतरे में पड़ गई है.
- मोदी सरकार ने कारों पर आयात शुल्क को 100% से घटाकर केवल 10% करने पर सहमति व्यक्त की है – यह भारत का अब तक का पहला ऑटो टैरिफ रियायत है. यह पहले से ही कमजोर हो चुकी “मेक इन इंडिया” की अवधारणा को और कमजोर कर देगा और अमेरिका तथा यूरोपीय संघ जैसे देशों के साथ भविष्य में होने वाले समझौतों में इसी तरह की रियायतों का आधार बनेगा. यह झटका उस समय दिया जा रहा है जब इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति के चलते भारत के ऑटोमोबाइल निर्माण क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक अवसर सामने आया है.”
‘भारतीय नीति में एक ऐतिहासिक बदलाव है’
इसी एक्स पोस्ट में जयराम रमेश ने आगे लिखा, “भारत ने पहली बार ऐसे पेटेंट नियमों को स्वीकार किया है, जो WTO के TRIPS समझौते में तय सीमाओं से परे हैं यह भारतीय नीति में एक ऐतिहासिक बदलाव है और एक तरह से दवा क्षेत्र की प्रभावशाली लॉबी के आगे आत्मसमर्पण है. इससे भारत में सस्ती दवाओं तक आम लोगों की पहुंच प्रभावित होगी और पूरी दुनिया में जनरिक दवाओं के अग्रणी निर्माता के रूप में भारत की साख को गंभीर खतरा उत्पन्न होगा. भारत, कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) से छूट लेने में विफल रहा है, जिससे ब्रिटेन भारतीय उत्पादों पर कार्बन टैक्स लगा सकेगा, जबकि हम उन्हें शुल्क-मुक्त प्रवेश दे रहे हैं. यह चूक अब यूरोपीय संघ (EU) के साथ चल रही बातचीत को भी प्रभावित करेगी. इस FTA को लेकर प्रधानमंत्री और उनका प्रचारतंत्र चाहे जितनी भी कोशिश कर लें इसे घुमा-फिराकर पेश करने या भ्रम फैलाने की कोशिश करें, सच्चाई यह है कि इस समझौते को लेकर भारत के घरेलू उद्योगों पर पड़ने वाले गंभीर और नकारात्मक प्रभावों को लेकर तमाम सवाल उठ खड़े हुए हैं.”
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