सीपीआई माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने न्यूज चैनल लाइव टाइम्स के कॉन्क्लेव में कास्ट सेंसस समेत अन्य मुद्दों पर बात की.
Dipankar Bhattacharya: न्यूज चैनल लाइव टाइम्स के कॉन्क्लेव में सीपीआई माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य शामिल हुए. कई मुद्दों पर दीपांकर भट्टाचार्य ने इस दौरान अपनी बात रखी. उन्होंने कहा, “अभी गुजरात की एक कवि ने कोरोना काल में एक कविता लिखी थी ‘शववाहिनी गंगे’ कि गंगा से इतने शव बह रहे हैं. उन कवि को कहा गया वो अवॉर्ड विनिंग कवि थीं. उन्हें कहा गया कि ये लिटरेरी नक्सल है तो आज हमें लगता है कि सच बोलना लोग इसी को समझते हैं कि शायद यही लेफ्ट की पॉलिटिक्स है. लेफ्ट ऑफ पॉलिटिक्स सच बोलने से भी आगे की बात है. यथार्थ को बदलना सिर्फ जो यथार्थ, है उसके बारे में बयान करना नहीं बल्कि उसको बदलना ये भी लेफ्ट का है काम लेकिन आज कम से कम सच बोलने पर ही लोगों को लेफ्ट कह दिया जा रहा है.”
महागठबंधन पर क्या बोले दीपांकर भट्टाचार्य?
दीपांकर भट्टाचार्य से पूछा गया कि आप महागठबंधन का हिस्सा हैं उसमें कांग्रेस पार्टी भी है, आरजेडी भी है जो महत्वपूर्ण गठबंधन के हिस्से हैं. आरजेडी के बारे में नीतीश कुमार 20 साल से जो आपने अभी बात कही वो बिहार में शासन कर रहे हैं कि जंगल राज था उसके बाद उनको शासन मिला और 20 साल से वह है. आज कांग्रेस पार्टी के साथ आप गठबंधन में हैं, आरजेडी के साथ गठबंधन में हैं आपको लगता है कि यह वैकल्पिक व्यवस्था जिसकी आप बात कर रहे हैं परिवर्तन का वह वहां से निकल सकता है? इस सवाल के जवाब में दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा, “निश्चित तौर पर उस दिशा में हम लोग कुछ कदम बढ़ा सकते हैं. जड़ तो आप ठीक कह रहे हैं कि जैसे बिहार जैसे स्टेट में अगर भूमि सुधार नहीं होगा तो यह जो गरीबी है उसका कोई जवाब आपके पास है नहीं. भूमि सुधार करने से अब नीतीश जी ने सोचा तो था कि हम भूमि सुधार कर लेंगे. आयोग की जो रिपोर्ट भी आई थी देवदत्त बंदोपाध्याय थे उन्होंने कहा कि मैंने एक इंप्लीमेंटेबल रिपोर्ट तैयार की जिसको नीतीश भी लागू कर सकते हैं लेकिन कुछ लोगों ने धमकी दे दी कि अगर भूमि सुधार होगा तो खून की नदी बहेगी तो नीतीश पीछे चले गए तो एक तो भूमि सुधार खेती का विकास अभी हम लोग बात कर रहे थे. अभी 18 तारीख से हम एक यात्रा निकालने वाले हैं सोन के इलाके में खासतौर पर सोन नदी सूख रही है.”
जाति जनगणना पर क्या कहा?
जाति जनगणना पर भी दीपांकर भट्टाचार्य से सवाल किया गया. उनसे पूछा गया कि आप वैकल्पिक विकल्प देने की बात कर रहे हैं क्या कांग्रेस और आरजेडी के साथ रह के जब कांग्रेस थी तो इतने सालों में जाति जनगणना के बारे में उन्होंने कभी नहीं सोचा. दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा, “कास्ट सेंसस की मांग तो बहुत दिनों से हो रही है. कास्ट सेंसस तो 2011 में कुछ हुए थे उसकी पूरी रिपोर्ट नहीं आई तो कास्ट सेंसस का तो सबसे लेट अचानक मान लिया ये तो आरएसएस ने. जो कल तक कह रहे थे कि कास्ट होता नहीं, कास्ट जो है ये कॉलोनियल पीरियड की कोई साजिश है, जिनके इनके मंत्री कह रहे थे कि जो करे जात की बात उसको कस के मारो लात. तो ये कहने वाले ये अचानक अभी चुनाव से पहले इन्होंने कास्ट सेंसस की घोषणा की सवाल तो वहां उठना चाहिए.”
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